7 अक्टूबर को इजरायल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद एक बड़ी जंग छिड़ गई है. हमास के विरोध में अमेरिका इजरायल के समर्थन में उतर गया, जिसकी आग अमेरिका में भी भड़क उठी है. दरअसल न्यूयॉर्क में यहूदी छात्रों के एक समूह को कूपर यूनियन की एक लाइब्रेरी में शरण लेनी पड़ी. क्योंकि लाइब्रेरी के बाहर फ्री फिलिस्तीन के नारे लगाए जा रहे थे. जब छात्र लाइब्रेरी के अंदर चले गए तो प्रदर्शनकारी दरवाजे को पीटते रहे
हालांकि, रिपोर्ट में न्यूयॉर्क पुलिस विभाग (एनवाईपीडी) का हवाला देते हुए कहा गया है कि यहूदी छात्रों को लाइब्रेरी से सुरक्षित निकाल लिया गया था. माना जाता है कि हमास के आतंकवादी हमलों में 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे, जबकि 5,400 से अधिक लोग घायल हुए थे. द जेरूसलम पोस्ट ने बताया कि गाजा में आतंकवादियों ने 222 लोगों, ज्यादातर नागरिकों को बंधक बना रखा है.
2,000 से अधिक संख्या में माने जाने वाले हमास के आतंकवादियों द्वारा दक्षिणी इजरायल में जमीन, समुद्र और हवा से घुसपैठ करने, घरों में घुसने और नागरिकों पर आतंक फैलाने के बाद, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने आतंकवादी समूह को कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यह 2023 है 1943 नहीं, जर्मनी में नाजी शासन के तहत यहूदियों के उत्पीड़न का जिक्र है. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, योव गैलेंट ने कहा कि आज के यहूदी लोगों के पास बहुत क्षमताएं हैं. हम वही यहूदी हैं, लेकिन हमारी क्षमताएं अलग-अलग हैं. हम एकजुट और शक्तिशाली हैं. हम पर बहुत अत्याचार हुआ है. कोई गलती न करे.
बुधवार को अमेरिकी यहूदी समिति (एजेसी) में भारतीय-यहूदी संबंधों के कार्यक्रम निदेशक निसिम रूबेन ने इजरायल के समर्थन में कांग्रेस की ब्रीफिंग में कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां यहूदी विरोधी भावना का कोई इतिहास नहीं है.
भारत दुनिया का एकमात्र देश है जहां यहूदी विरोधी भावना का कोई इतिहास नहीं है. 2008 के मुंबई हमलों तक कभी भी भारत में यहूदियों पर अत्याचार नहीं किया गया था, जिसे सीमा पार से आए आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. इसीलिए इजरायल में आज भी भारतीय यहूदी कहते हैं कि इजरायल हमारी पितृभूमि है. भारत हमारी मातृभूमि है. इजराइल हमारे दिल में है. भारत हमारे खून में है.