एक बार फिर, यह साल का वह समय है जब दिल्ली-एनसीआर जहरीली हवा में सांस ले रहा है. क्षेत्र में बिगड़ते वायु प्रदूषण ने कई लक्षणों को बढ़ा दिया है, जिनमें खांसी, सांस फूलना, कंजेशन, लगातार सिरदर्द, थकान और बहुत कुछ शामिल है. जो लोग पहले से ही फेफड़ों से संबंधित बीमारियों, अस्थमा, या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित हैं, उनमें लक्षण बदतर होते जा रहे हैं.
25 अक्टूबर को लगातार तीसरे दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में रही और निगरानी एजेंसियों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में इसमें कोई सुधार की संभावना नहीं है. वायु प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिलने का कारण पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में पराली जलाना जारी है. जोखिम वाले लोगों ने पहले से ही अस्पताल के ओपीडी और आपातकालीन इकाइयों में लाइन लगाना शुरू कर दिया है.
इन मरीजों का इलाज करने वाले पल्मोनोलॉजिस्ट और विशेषज्ञों ने News18 को बताया कि इमरजेंसी वार्ड में सांस से जुड़ी समस्या वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. नई दिल्ली स्थित धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. नवनीत सूद ने News18 को बताया, ‘हम अस्थमा और सीओपीडी से जूझ रहे रोगियों में चिंताजनक वृद्धि देख रहे हैं, जो बढ़ते वायु प्रदूषण और आने वाली सर्दियों के घातक संयोजन के कारण और बढ़ गई है.’ सूद ने कहा कि पिछले 15 दिनों में उनके विभाग की ओपीडी में ऐसे मामलों में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने कहा, ‘कुछ गंभीर मरीजों को भी भर्ती किया गया.’
अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है
नई दिल्ली स्थित होली फैमिली अस्पताल ने भी चिकित्सा इकाई में प्रवेश देखना शुरू कर दिया है. होली फैमिली हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुमित रे ने कहा, ‘हमने अस्थमा, सीओपीडी और कुछ आईएलडी (इंटरस्टिशियल लंग डिजीज) जैसी सांस की गंभीर बीमारियों से संबंधित मरीजों को भर्ती किया है.’
मरीजों पर दवाओं का तुरंत असर नहीं हो रहा है
इसी तरह, फरीदाबाद में एनसीआर स्थित अमृता अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अर्जुन खन्ना ने News18 को बताया, ‘जो लोग अपनी चल रही दवाओं पर सही थे, वे भी लक्षणों के बिगड़ने या बढ़ने की शिकायत लेकर आ रहे हैं.’ खन्ना ने कहा कि उन रोगियों के लिए इनहेलर खुराक या दवाओं की आवश्यकता अचानक बढ़ गई है.