भारत के 8 प्रमुख सेक्टर्स ने सितंबर में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो चार महीनों में सबसे कम है. देश के इन 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, इस्पात, सीमेंट, बिजली, उर्वरक, रिफाइनरी उत्पाद और प्राकृतिक गैस है.
सितंबर महीने की वृद्धि, अगस्त के 14 महीने के उच्चतम 12.1 प्रतिशत से कम है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने यह आंकड़े जारी किए हैं. अगस्त में प्रभावशाली प्रदर्शन काफी हद तक अनुकूल आधार प्रभाव के कारण था.
सीमेंट उद्योग में सबसे ज्यादा गिरावट
पिछले साल सितंबर में कोर सेक्टर की ग्रोथ 8.3 फीसदी थी. अप्रैल-सितंबर के लिए, कोर सेक्टर आउटपुट में वृद्धि 7.8 प्रतिशत है, जबकि 2022-23 की पहली छमाही में यह 9.8 प्रतिशत थी. ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “बारिश में बढ़ोतरी ने सितंबर में मुख्य क्षेत्र के विस्तार को अपेक्षित रूप से धीमा कर दिया.”
सितंबर में कोर सेक्टर की वृद्धि में गिरावट मुख्य रूप से सीमेंट उद्योग के कारण हुई, जिसका उत्पादन अगस्त में 19.3 प्रतिशत की भारी वृद्धि के बाद सिर्फ 4.7 प्रतिशत बढ़ा, जो 6 महीने में सबसे कम है. वास्तव में, 8 उद्योगों में से एक को छोड़कर सभी ने कम उत्पादन वृद्धि संख्या दर्ज की, कच्चे तेल का उत्पादन भी साल-दर-साल 0.4 प्रतिशत गिर गया.
सितंबर में बेहतर आंकड़े दर्ज करने वाला एकमात्र उद्योग फर्टिलाइजर था, जिसका उत्पादन अगस्त में 1.8 प्रतिशत के मुकाबले 4.2 प्रतिशत की तेज दर से बढ़ा. अगस्त के मुकाबले सितंबर में कोर सेक्टर की वृद्धि में तेजी से गिरावट के साथ, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के अनुसार, औद्योगिक विकास में भी गिरावट की संभावना है.
वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वार्षिक लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत रहा. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 37.3 प्रतिशत था. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के आय एवं व्यय के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर की अवधि में वास्तविक संदर्भ में 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा. सरकार ने आम बजट में अनुमान जताया था कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.9 प्रतिशत रहेगा. बीते वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत था.