देश में गैर-बासमती चावल (Rice Price Hike) की बढ़ती कीमतों में हो रही बढ़ोतरी पर लगाम लगाने को अब सरकार ने कमर कस ली है. चावल के घरेलू मूल्य परिदृश्य की समीक्षा करने के लिए आज खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने नई दिल्ली में गैर-बासमती चावल प्रसंस्करण उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक में चोपड़ा ने उद्योग को घरेलू बाजार में कीमतों को उचित स्तर पर लाने के उपाय करने को कहा.
पीआईबी द्वारा जारी बयान में बताया गया है कि उद्योग संघों को परामर्श दिया गया कि वे अपने संघ के सदस्यों के साथ इस मुद्दे को उठाएं और सुनिश्चित करें कि चावल की खुदरा कीमत तत्काल प्रभाव से कम हो. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि खरीफ की अच्छी फसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास पर्याप्त भंडार होने और चावल के निर्यात पर बैन के बावजूद घरेलू बाजार में गैर-बासमती चावल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं. चावल की वार्षिक मुद्रास्फीति दर पिछले दो वर्षों से 12 प्रतिशत के आसपास चल रही है और पिछले कुछ वर्षों में इसमें वृद्धि हो रही है जो चिंता का कारण है.
उपभोक्ता को मिले राहत
बैठक में थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं द्वारा प्राप्त लाभ के अंतर में भारी वृद्धि होने और इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई. बैठक में मुनाफाखोरी के प्रयासों से कड़ाई से निपटने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया. बैठक में यह सुझाव भी दिया गया कि जहां अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) और वास्तविक खुदरा मूल्य के बीच व्यापक अंतर मौजूद है, वहां उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए इसे वास्तविक स्तर पर लाने के प्रयास किए जाने चाहिए.