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आग उगलता है यूक्रेन का ये ड्रोन, दुश्मनों पर बरसाता है लावा, पलक झपकते पिघला दे रहा टैंक, रूस के छूटे पसीने

रूस और यूक्रेन का युद्ध अपने चरम पर है. दोनों देश लगातार एक-दूसरे पर ड्रोन और मिसाइल से हमले कर रहे हैं. लेकिन, सबको चौंकाते हुए यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले हिस्सों पर एक ऐसे ड्रोन से हमला कर रहा है, जो मानो आग उगलता हो. इसे ‘ड्रैगन ड्रोन’ नाम दिया गया है. इसकी खासियत यह है कि यह पलक झपकते ही जंगल के पेड़ों को जलाकर खाक कर देता है. इस प्रकार के लावा का पहली बार प्रयोग जर्मनी ने वर्ल्ड वॉर-I और वर्ल्ड वॉर-II में किया था.

यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक वीडियो शेयर किया गया है. कम ऊंचाई पर उड़ते हुए ड्रोन और रूस के कब्जे वाले भाग के जंगल के पेड़ों पर पिघला हुआ लावा बरसा रहा है. यह लावा एल्युमिनियम पाउडर और आयरन ऑक्साइड का सफेद गर्म मिश्रण होता है. इसे थर्माइट भी कहते हैं. यह लगभग 4000 डिग्री फारेनहाइट या 2200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पिघला होता है.

पेड़ो को जलाकर खाक कर देगा
यूक्रेन ने बताया अगर ये ड्रोन के आग रूस के सैनिकों को अगर मार नहीं सकता तो उनको कवर देने वाले पेड़ों और वनस्पतियों को जलाकर खाक कर देता है. वहीं, यूक्रेन ड्रेन में लावा बरसाने वाले पंख आसमान से हमारे बदले की आग को बरसाते हैं. वहीं, यह ड्रोन इतने इक्यूरेसी के साथ आग बरसाता है, जो कोई भी दूसरा हथियार नहीं कर सकता है.

युद्ध में आग लगाने वाला हथियार
थर्माइट आसानी से लगभग किसी भी चीज को जला सकता है. यहां तक ​​कि लोहे को भी. इससे बचाना नामुमकिन है. इसकी खोज 1890 के दशक में एक जर्मन वैज्ञानिकों ने की थी. इसका प्रयोग रेल की पटरियों को वेल्ड करने के लिए किया जाता था. लेकिन, जर्मनी तब मित्र राष्ट्रों पर जहाज हवा में से इसे गिरा कर अपने दुश्मनों को तबाह करता था, बाद उनके तोपखानों को तबाह करने के लिए भी प्रयोग करने लगा था. वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने इसके उपयोग पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से पर्यावरण को काफी नुकसान हो सकता है.

अमेरिका ने भी जमकर किया उपयोग
अमेरिका ने विश्व युद्ध-II के दौरान जापान की राजधानी टोक्यो के फायर रेड्स को तबाह करने के लिए नेपाम का इस्तेमाल किया था. अमेरिकी सेना ने वियतनाम वॉर में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था. अमेरिकी सेना ने ग्रेनेड में भी थर्माइट का उपयोग किया. अमेरिकी सेना के पाइन ब्लफ ने 1960 से 2014 तक इन हथियारों का उत्पादन किया था फिर 2023 में फिर से उत्पादन शुरू किया.

इंसानों पर इसका असर
अगर हम ह्यूमन राइट्स वॉच की बात माने तो इससे इंसानों के चौथी और पांचवीं डिग्री तक के जलना शामिल है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसे “इंसान के लिए भयावह कुख्यात” बताया है. अगर किसी इंसान पर ये गिर जाए तो इसके इलाज में कई महीने लग सकते हैं और रोजाना ख्याल रखने की जरूरत होती है. अगर पीड़ित बच भी जाते हैं, तो उनके शरीर पर शारीरिक और मानसिक घाव रह जाते हैं. हालांकि अंतरारष्ट्रीय कानून के तहत सैन्य युद्ध के लिए थर्माइट पर प्रतिबंध नहीं है.