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दुश्मन की आहट सुन कर देगा काम तमाम, सेना को मिला 440 करोड़ का ऐसा हथियार, छूट जाएगी ड्रैगन की कंपकंपी

भारत को अपनी समुद्री सीमा की रक्षा के लिए अब एक नया हथियार मिलने वाला है. अमेरिका ने भारत को हाई एल्टिड्यूड एंटी सबमरीन वॉरफेयर (HAASW) सोनोबुइस की बिक्री की मंजूरी दे दी है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, यह सौदा 5.28 करोड़ डॉलर (करीब 443 करोड़ रुपये) का होगा. सोनोबुइस हवा से दागे जाने वाले सेंसर्स होते हैं जो पानी के अंदर की आवाजों को प्रसारित करने के साथ सब-मरीन को खत्म करने में मदद करते हैं.

भारत मुख्य रूप से इनका इस्तेमाल MH-60R हेलीकॉप्टर के जरिए करेगा. ये हेलिकॉप्टर भारतीय नेवी ने अभी कुछ समय पहले ही खरीद हैं. इसमें से 6 हेलीकॉप्टर भारत को मिल चुके हैं. डिफेंस सिक्योरिटी कोओपरेशन एजेंसी का कहना है कि भारत को अपनी मौजूदा रक्षा प्राणाली में सोनोबायोस को शामिल करने में कोई परेशानी नहीं होगी. अभी अमेरिकी कांग्रेस को इस पर विचार करना है जिसके लिए उनके पास 30 दिन का समय है.

राजनाथ सिंह की यात्रा में हुआ था सौदा
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यूएस यात्रा के दौरान वहां के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस सौदे को मंजूरी दी थी. इस डील से भारत और यूएस के बीच रक्षा क्षेत्र में संबंध और मजबूत होने की उम्मीद है. यह सौदा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हिंद महासागर में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है.

3 तरह के सोनोबायस
भारत ने AN/SSQ-53G, AN/SSQ-62F, and AN/SSQ-36 सोनोबुइस की मांग की है. इन तीनों के फीचर्स में कुछ अंतर है.

AN/SSQ-53G समुद्र के अंदर की आवाजों को बिना किसी हलचल के डिटेक्ट करता है. इसलिए इसे पकड़ना मुश्किल होता है. 9144 मीटर की ऊंचाई से लॉन्च कर सकते हैं और यह 300 मीटर अंदर तक काम करता है.

AN/SSQ-62F को इसके डायरेक्शनल, कोहेरेंट, एक्टिव सोनार सिस्टम के लिए जाना जाता है. यह साउंडवेव रिलीज करता है और पानी के अंदर सब-मरीन को डिटेक्ट करता है.

AN/SSQ-36 पानी के तापमान संबंधी डाटा मुहैया कराता है. इससे दूसरे सोनार सिस्टम्स को अपनी सटीकता बढ़ाने में मदद मिलती है. यह पानी में साउंड की स्पीड को डिटेक्ट कर सकता है.