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बागमती ने धारण किया रौद्र रूप, 22 साल बाद फिर टूटा बांध, 3 लाख लोग प्रभावित

सीतामढ़ी जिले में 22 साल बाद बागमती अपनी रौद्र रूप में आई है, जिसके कारण सीतामढ़ी के तीन जगहों पर बांध टूट गए हैं. वहीं, शिवहर में भी एक जगह बांध टूटा है. इन चार स्थानों की 3 लाख की आबादी बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर है.

इसमें पहला स्थान बेलसंड के मधकौल का है, जहां बांध टूटने के बाद 10 पंचायतों के 30 गांवों में संकट का बादल छा गया है. वहीं, रुन्नीसैदपुर के रविवार की शाम को तिलकताजपुर और खरहुंआ-नुनौरा के मध्य बांध टूटा है, जिसके बाद लोगों में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया. यहां बांध टूटने से करीब 2 लाख की आबादी प्रभावित हो चुकी है और इसका दायरा बढ़ता जा रहा है.

इन इलाकों में बाढ़ का खतरा
मौके पर पहुंची Local18 टीम ने इलाके का जायजा लिया. तो इस दौरान मुखिया मनोज कुमार सिंह ने Local18 टीम से कहा कि परियोजना के आला अधिकारी कोशिश करते तो तटबंध को बचाया जा सकता था. मुखिया ने बताया कि इसकी सूचना डीएम को भी दी गई थी, लेकिन डीएम के पहुंचने से पहले ही तटबंध टूट गया. बाढ़ का पानी मधकौल, जाफरपुर, बसौल, पड़राही, कंसार, बेलसंड, ओलीपुर, रूपौली आदि गांवों में प्रवेश कर गया है. बाढ़ का पानी बेलसंड तरियानी मेन रोड पर चढ़कर पूरब की ओर तूफान मचाना शुरू कर दिया है. लोग ऊंचे स्थानों और तटबंध पर शरण लेने लगे हैं.

22 साल बाद फिर टूटा बांध
बाढ़ की स्थिति से बेलसंड और रुन्नीसैदपुर के करीब डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित हुई है. बताया गया कि मुख्य सड़क पर चारों ओर पानी का तेज बहाव हो रहा है. वहीं ग्रामीण कमल कुमार ने बताया कि वर्ष 2002 में एक बार ऐसा ही बाढ़ आया था, उस समय भी यही बांध टूटा था. 22 साल बाद फिर वही बांध टूट गया है. अगर प्रशासन सही समय पर पहुंचकर बांध की मरम्मती करता तो बांध नहीं टूटता.

प्रशासन से सहयोग की अपील
स्थानीय लोगों द्वारा प्रशासन से शिकायत की गई थी, जिसके बाद खुद ग्रामीण बांध को बचाने में लगे हुए थे. दयाराम पांडे ने बताया कि स्थिति काफी दयनीय है. कई लोग अभी भी घर में फंसे हुए हैं. आज 22 साल बाद हम लोगों के सामने ऐसी स्थिति आई है. अगर प्रशासन का सहयोग नहीं मिलेगा, तो लोगों में त्राहिमाम हो जाएगी.