मनी व्यापार

फर्जी एसबीआई ब्रांच खोल किया फर्जीवाड़ा, खाता और नौकरी के नाम पर वसूले लाखों, भागने से पहले हो गया कांड

आजकल ऑनलाइन धोखाधड़ी इस कदर बढ़ गई है कि सामने से सही कॉल आने पर भी लोगों को फर्जीवाड़ा ही लगता है. इससे सबक लेकर फ्राडियों ने ऑनलाइन के बजाय ऑफलाइन चक्रव्‍यूह रचा और भोले-भाले गांव वालों को फंसाकर लाखों रुपये ठग लिए. इससे पहले कि फर्जी बैंक मैनेजर सारे पैसे लेकर चंपत होता, उसके साथ कांड हो गया और पुलिस ने सभी आरोपियों को धर दबोचा. आखिर यह सारा खेल कैसे रचा गया और गांव वालों से कैसे लाखों की ठगी हुई, इसकी पूरी कहानी पढ़कर आप भी कहेंगे, क्‍या दिमाग लगाया.

यह सारा मामला पेश आया है कि छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर छपोरा गांव में. यहां 3 मुख्‍य आरोपियों रेखा साहू, मंदिर दास और पंकज ने गांव में बाकायदा किराये का घर लेकर एसबीआई की ब्रांच खोली. उन्‍होंने बैंक में नौकरी देने के बहाने लोगों से पैसों की मांग की और उन्‍हें हजारों रुपये की सैलरी पर बैंक में रख भी लिया. इतना ही नहीं गांव वालों से खाता खुलवाकर नकदी जमा करने और एफडी खोलने की सुविधा भी शुरू कर दी.

पूरी तरह बनाया बैंक जैसा माहौल
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों ने बैंक जैसा माहौल बनाने के लिए बाकायदा फर्नीचर लगवाए और फर्जी रसीद के साथ स्‍टांप, कंप्‍यूटर व अन्‍य जरूरी चीजें भी स्‍थापित की. 10 दिन के भीतर सारा सेटअप लगाने के बाद उन्‍होंने आसपास के गांवों से भर्तियां शुरू की और लोगों को खाता व एफडी खोलने के लिए बुलाया. कैश काउंटर, पेपरवर्क और फर्नीचर आदि बैंक जैसा ही देखकर लोग पहली नजर में ही भरोसा कर बैठे.

नौकरी देकर शुरू कर दी ट्रेनिंग
फ्रॉडियों ने दर्जनों लोगों के खाते खोलकर ट्रांजेक्‍शन आदि भी शुरू कर दिया और कई युवक-युवतियों की भर्ती भी शुरू कर दी. उन्हें हजारों रुपये की सैलरी का लालच देकर 3 से 5 लाख रुपये तक ठग लिए. ठगों ने आसपास के कोरबा, बालोद, कबीरधाम और सक्‍ती गांव के लोगों से पैसे ठगकर उन्‍हें नौकरी पर रखा. इस बैंक में काम करने वाली ज्‍योति यादव का कहना है कि उन्‍हें 30 हजार रुपये सैलरी का लालच दिया गया था और सारे डॉक्‍यूमेंट लेकर बायोमेट्रिक डाटा भी लिया गया है. एक और कर्मचारी संगीता कंवर का कहना है कि मुझसे 5 लाख रुपये मांगे गए और 2.5 लाख में मामला सेट हुआ. 35 हजार की सैलरी पर रखा था. धोखेबाजों ने इसके अलावा दर्जनों लोगों से लाखों रुपये खाते और एफडी में भी जमा कराए थे.

एक ग्रामीण की होशियारी से पर्दाफाश
इससे पहले कि स्‍कैमर अपने मंसूबे में सफल हो पाते, गांव के ही एक व्‍यक्ति अजय कुमार अग्रवाल की समझदारी से उनका पर्दाफाश हो गया. इस आदमी को रातोंरात बैंक की ब्रांच खुलने पर शक हुआ और पास के एसबीआई ब्रांच में जाकर खबर दी. वहां के मैनेजर ने जांच में पाया कि इस ब्रांच को कोई कोड अलॉट नहीं हुआ है. इसके बाद पुलिस व सीबीआई को खबर दी गई और आरोपियों को भागने से पहले ही धर दबोचा गया.