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देपसांग और डेमचोक से कितने टेंट-तंबू हटे? LAC से आ गई गुड न्यूज, जानिए कब पूरा होगा डिसइंगेजमेंट

भारत-चीन के बीच एलएसी पर विवाद सुलझाने की प्रक्रिया बहुत तेजी शुरू हो गई है. एलएसी पर देपसांग और डेमचोक में दोनों तरफ से टेंट और तंबू हटाने का काम तेजी से चल रहा है. सूत्रों की मानें तो डेमचॉक और देपसांग में दोनों तरफ से 40 फीसदी टेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर हटाए दिए गए हैं. गुरुवार रात तक करीब 40 फीसदी काम पूरा हो चुका है. यह काम आज भी जारी रहेगा और अगले दो दिनों में पूरा होने की उम्मीद है. भारत और चीन की सेना डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को पूरी तरह अमलीजामा पहनाने में लगी हुई है.

सूत्रों ने यह भी कहा कि एलएसी पर दोनों प्वाइंट यानी देपसांग और डेमचोक पर कितना डिसइंगेजमेंट हुआ, इसका फिजिकल और एरियल तरीके से ज्वाइंट वेरिफिकेशन होगा. चार फ्रिक्शन प्वाइंट यानी संघर्ष वाली जगह पर पहले भी डिसइंगेजमेंट के बाद इसी तरह का वेरिफिकेशन किया गया था. फिजिकल और एरियल वेरिफिकेशन भारत और चीन दोनों तरफ से होगा. हॉट लाइन पर लोकल कमांडर आगे की रणनीति तय कर रहे हैं और फिर उसे जमीन पर उतारा जा रहा है. दिन में एक से दो बार लोकल सैन्य कमांडर आपस में मुलाकात कर रहे हैं.

चार साल बाद बनी बात
दोनों ओर से यह कोशिश की जा रही है कि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में तनिक भी देरी न हो. बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग चार साल से चले आ रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए यह समझौता हुआ है. रक्षा सूत्रों ने की मानें तो सीमा विवाद के देपसांग और डेमचोक से कुछ अस्थायी तंबू दोनों देशों की ओर से हटा दिए गए हैं. दो साल पहले भारत और चीन चार अलग-अलग स्थानों पर पीछे हट गए थे, जहां बफर जोन बनाए गए थे. सूत्रों के अनुसार, स्थानीय कमांडर वरिष्ठ स्तर पर तय की गई व्यापक शर्तों के अनुसार मौजूदा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं.

कब शुरू होगी पेट्रोलिंग?
सूत्रों ने आगे कहा कि पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा लेकिन इसकी शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि स्थानीय कमांडरों ने अगले दिन बैठक की और समझौते की घोषणा के तुरंत बाद इसकी शुरुआत हुई. जैसे ही टेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर हटा लिए जाएंगे, उसके बाद ही पेट्रोलिंग शुरू होगी. बता दें कि 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर इस समझौते का समर्थन किया. उन्होंने 2020 में गलवान में सैन्य संघर्ष से प्रभावित संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत देते हुए विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को पुन रिवाइव करने के निर्देश भी जारी किए.