छत्तीसगढ़ टीचर मेडिकल एसोसिएशन के कुछ अगुआ यानी लीडर ही प्रेक्टिस करते हुए नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) ले रहे हैं। ऐसे में एसोसिएशन की छवि खराब हो रही है। दलील दी जा रही है कि हर साल एनपीए लेने व छोड़ने का विकल्प न होने के कारण ऐसा हो रहा है। जबकि ये डॉक्टर लंबे समय से प्रेक्टिस कर रहे हैं और एनपीए ले रहे हैं। उनके पास एनपीए छोड़ने का विकल्प था, लेकिन नहीं छोड़ा। तर्क दिया जा रहा है कि अस्पताल या लैब पत्नी के नाम पर है। ये तर्क किसी को हजम नहीं हो रहे हैं।
28 हजार तक अलाउंस, इसलिए मोह नहीं छोड़ पा रहे फैकल्टी!
मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी को हर माह 22 से 28 हजार रुपए एनपीए मिल रहा है। ये अच्छी खासी राशि है। इसलिए कई फैकल्टी प्राइवेट प्रेक्टिस करते हुए भी एनपीए लेने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। एनपीए लेने वाले डॉक्टरों की सूची 4 अक्टूबर को डीएमई की वेबसाइट पर अपलोड की गई है। इसके बाद यह सूची सार्वजनिक हो चुकी है। इससे आम लोगाें को भी समझ आ रहा है कि एनपीए के नाम पर हर माह तगड़ी राशि लेने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस भी कर रह है।