भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मिले नेचुरल गैस भंडार देश की अर्थव्यवस्था को और गति देंगे. इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX) के एक टॉप अधिकारी ने कहा है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्राकृतिक गैस भंडारों की खोज और मौद्रीकरण से गैस आयात में कमी लाने में मदद मिलने के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और अधिक व्यापार अवसर प्रदान किए जा सकेंगे. राष्ट्रीय स्तर के पहले स्वचालित गैस एक्सचेंज आईजीएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश के मेदिरत्ता ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र न केवल देश के अन्य हिस्सों बल्कि पड़ोसी बांग्लादेश को भी अतिरिक्त गैस की आपूर्ति कर सकता है और महत्वपूर्ण राजस्व जुटा सकता है.
मेदिरत्ता ने कहा, ‘पूर्वोत्तर में प्राकृतिक गैस के उत्पादन की बहुत अधिक क्षमता है. चूंकि पूर्वोत्तर गैस ग्रिड 2026 तक चालू होने की संभावना है, इसलिए मौजूदा उत्पादक 60 लाख मानक घन मीटर प्रतिदिन प्राकृतिक गैस के भंडार का मौद्रीकरण कर सकते हैं.’
आईजीएक्स के प्रमुख ने यहां ‘पूर्वोत्तर के लिए गैस बाजार विकास’ पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, ‘पूर्वोत्तर में गैस उत्पादन बढ़ने से देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी क्योंकि आईजीएक्स गैस उत्पादकों को अधिशेष गैस को अन्य क्षेत्रों में बेचने में मदद करेगा.’ उन्होंने कहा कि भारत फिलहाल अपनी खपत का लगभग 50 प्रतिशत यानी लगभग 10 करोड़ मानक घन मीटर प्रतिदिन गैस का आयात कर रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रभावी गैस पाइपलाइनों के साथ, मौजूदा पेट्रोलियम कंपनियां 60 लाख मानक घन मीटर प्रतिदिन गैस का पता लगा सकती हैं.’ उन्होंने कहा कि इससे लगभग 14,000 करोड़ रुपये की बचत होने के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था में रोजगार और व्यापार के अवसर भी पैदा होंगे.
दरअसल, असम के तिनसुकिया जिले के मार्गरीटा में डिरोक फील्ड में प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं. इससे पहले केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी कहा था कि ये नेचुरल गैस रिजर्व, ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. केंद्रीय मंत्री कह चुके हैं कि डिरोक फील्ड में टेस्टिंग से प्रति दिन 6 मिलियन मानक क्यूबिक फीट गैस की प्रभावशाली प्रवाह दर उत्पन्न हुई है.