एसएमई आईपीओ को लेकर पहली बार सेबी और वित्त मंत्रालय व अन्य विभागों के पास शिकायतें पहुंचनी शुरू हो रही हैं. हाल में सेबी ने कई बार इस एक्सचेंज के इश्यू में मिल रहे भारी भरकम सब्सक्रिप्शन को लेकर चिंता जताई थी. अब एक ऐसी कंपनी के खिलाफ सेबी और वित्त मंत्रालय के पास शिकायत पहुंची है, जो कई तरह की जानकारियां छिपा रही है. साथ ही सेबी से बिना मंजूरी मिले इसके इश्यू प्राइस, साइज और आईपीओ की तारीखों को बाजार में घुमाया जा रहा है.
तीन साल पुरानी कंपनी रोसमारटा डिजिटल सर्विसेज के प्रमोटरों के खिलाफ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), वित्त मंत्रालय सहित सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय तक से शिकायत की गई है. कंपनी एसएमई आईपीओ से 200 करोड़ रुपये जुटाने के लिए अगले हफ्ते बाजार में उतरने वाली है. कंपनी के प्रमोटरों कार्तिक विवेक नागपाल, करण विवेक नागपाल और ट्रस्ट प्रमोटर आरती नागपाल व अन्य अज्ञात व्यक्तियों पर डीआरएचपी में महत्वपूर्ण तथ्यों व जानकारी को जानबूझकर छिपाने और गलत वित्तीय आंकड़े देने का आरोप है.
निवेशक ने क्या लगाए आरोप
प्रमोटरों के पिता विवेक नागपाल पर आरोप है कि वे पूंजी बाजार में हेरफेर, इंसाइडर ट्रेडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग सहित अन्य संगठित अपराध में शामिल थे और आज भी कई माध्यम से सक्रिय हैं. मुंबई के निवेशक रोहित विजय निर्मल ने आरोपी व्यक्तियों और अन्य अज्ञात सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. कंपनी ने महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर दबाने और व्यावसायिक गतिविधियों और हितों के बारे में सामग्री की जानकारी छिपाई व झूठी और गलत जानकारी दी है.
पहले भी लगे हैं आरोप
विवेक नागपाल के खिलाफ पहले भी हेरफेर, मनी लॉन्ड्रिंग, बैंकों से ली गई कर्ज राशि की हेराफेरी और अन्य संगठित वित्तीय अपराध की गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत है. रोसमारटा के खिलाफ काफी मामले लंबित हैं जिसमें करोड़ों की फर्जी बैंक गारंटी भी शामिल है. विवेक नागपाल पर संयुक्त संसदीय रिपोर्ट के अनुसार 2001 में शेयर बाजार के घोटालेबाज केतन पारेख और अन्य के साथ सक्रिय भागीदारी के लिए मुकदमा चलाया गया था और दोषी ठहराया गया था.