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दवा उत्पादन में भारत की भागीदारी 130 बिलियन डॉलर ले जाने में मददगार होगा फार्मा एक्‍सपो

दवाओं के क्षेत्र में भारत ग्‍लोबल स्‍तर पर भागीदारी बढ़ा रहा है. फार्मा कंपनियों ने उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमतों के साथ विश्‍व पहचान बना रही हैं. केन्‍द्र सरकार द्वारा रिसर्च में किया जा रहे सहयोग से 2030 तक फार्मा उद्योग को 130 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्‍य रखा है. इसको पूरा करने के लिए एक्सपो सेंटर ग्रेटर नोएडा में आयोजित सीपीएचआई और पी-मेक इंडिया के फार्मा एक्‍सपो शुरू हुआ है. इसमें दवा का निर्यात बढ़ाने और उत्‍पादन के क्षेत्र में नई नई तकनीकों पर चर्चा हुई.

एक्‍सपो में अमेरिका, यूएई, दक्षिण कोरिया, जापान और यूके समेत 120 से अधिक देशों के 2,000 से अधिक प्रदर्शक और 50,000 से अधिक विज़िटर्स शामिल हो रह हैं. इस मौके भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग एक ग्‍लोबल लीडर के रूप में खड़ा है, जो 200 से अधिक देशों में निर्यात करता है.

फार्मेक्सिल (वाणिज्‍य मंत्रालय) के महानिदेशक के.राजा भानु ने बताया कि बताया कि विश्व में फार्मा क्षेत्र में नियम कायदे का पालन बहुत होता है. भारतीय कंपनियों ने भी अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर खास ध्यान दिया है और यही कारण है कि देश के फार्मा निर्यात का 55 प्रतिशत से अधिक भाग हम उन वैश्विक बाजारों में भेज सके हैं, जहां नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। दवा व्यापार के क्षेत्र में अमेरिका और यूरोपीय देशों को खासा सख्त माना जाता है, लेकिन बीते कुछ वर्ष में भारतीय कंपनियों ने इन बाजारों में भी अपनी पैठ बनाई है और फार्मा क्षेत्र की तरक्की के पीछे इस तथ्य का भी बड़ा हाथ है।

सीपीएचआई और पी-मेक इंडिया के आयोजक और इन्फोर्मा मार्केट्स इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने बताया कि फार्मा मशीनरी, पैकेजिंग, विश्लेषणात्मक उपकरण, प्रयोगशाला प्रौद्योगिकियों, सामग्री और अन्य से लेकर यह बातचीत में शामिल होने और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करता है. यह निर्यात वर्तमान 55 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 130 बिलियन डॉलर और 2047 तक 450 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्‍य है.