नेपाल ने चीन के साथ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) सहयोग मसौदा समझौते पर साइन करके भारत की टेंशन बढ़ा दी है. वैसे तो हर नेपाल का नया प्रधानमंत्री पहले भारत का दौरा करता है लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए केपी शर्मा ओली पहले चीन गए. फिर उन्होंने ऐसे समझौते पर साइन किए जो भारत के हितों के खिलाफ जाता है. पिछले कुछ सालों से नेपाल लगातार भारत को आंखें दिखाता हुआ चीन की गोदी में बैठने का काम करता रहा है. भारत रोज उसके लिए लाइफ लाइन बनता है. अपने देश से भी ज्यादा सस्ती दरों में उसे रोज जरूरी सामान ट्रकों में भरकर भेजता है. सब्जियों से लेकर दवाओं तक और बहुत सस्ती दरों में बिजली से पेट्रोल तक.
कहना चाहिए कि भारत अपने पड़ोसी देश के लिए पिछले 74 सालों से लाइफ लाइन का काम करता रहा है. भारत से सामानों की आपूर्ति रुकते नेपाल का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा.
भारत अकेला ऐसा देश है जो नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. भारत से सामान बहुत सस्ते में नेपाल भेजे जाते रहे हैं. इसमें सबसे ऊपर पेट्रोल और पेट्रोलियम पदार्थ हैं. नेपाल की तेल जरूरतों की 100 फीसदी आपूर्ति भारत से ही होती है. नेपाल ने विकल्प के तौर पर तेल आपूर्ति के लिए चीन की ओर देखा था, लेकिन उसे समझ में आ गया, ये बहुत मंहगा साबित होगा. भारत ने खासतौर पर नेपाल तक के लिए एक तेल पाइप लाइन भी बिछाई है. जिसका उद्घाटन पिछले साल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
तेल की सप्लाई और वितरण
बात तेल से शुरू करते हैं. भारत हमेशा से ही नेपाल को तेल की आपूर्ति करता रहा है. नेपाल तेल निगम (nepal oil corporation) पूरी तरह भारत से आने वाले तेल की सप्लाई और वितरण व्यवस्था पर निर्भर है. नेपाल में कोई भी प्राइवेट कंपनी कहीं बाहर से तेल आयात नहीं कर सकती. ये जिम्मा वहां के सरकारी क्षेत्र की कंपनी नेपाल तेल निगम का है,, जिसे 1970 में वहां की सरकार ने स्थापित किया था.