रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार 11वीं बार भले ही रेपो रेट में कटौती न की हो, लेकिन इस बार किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद गवर्नर दास ने कहा कि किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए को-लैटरल फ्री लोन की सीमा को 40 हजार रुपये बढ़ा दिया है. अब किसाना बिना कुछ भी गिरवी रखे बैंक से 2 लाख रुपये तक का लोन ले सकेंगे. आरबीआई का मकसद बढ़ती महंगाई और खेती की बढ़ती लागत से किसानों को राहत दिलाने के लिए यह लिमिट बढ़ाई है.
आरबीआई ने कोलैटरल फ्री लोन की शुरुआत कई साल पहले की थी. तब इस योजना के तहत किसानों को 1 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता था, लेकिन फरवरी, 2019 में इसे बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये कर दिया गया. अब रिजर्व बैंक ने एक बार फिर इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है. यानी किसान अब 2 लाख रुपये तक का लोन बिना कुछ भी गिरवरी रखे बैंक से ले सकते हैं.
क्यों है कोलैटरल लोन की जरूरत
किसानों को कोलैटरल लोन दिलाने के पीछे का मकसद ये है कि कुछ किसानों के पास इतनी पूंजी नहीं होती कि वे अपनी खेती को आराम से कर सकें. कई बार किसानों के पास बैंकों में गिरवी रखने के लिए भी कुछ नहीं होता है और ऐसे में बैंक उन्हें लोन भी नहीं देते. तब जरूरत होती है कोलैटरल लोन की. इसलिए आरबीआई ने कोलैटरल लोन की शुरुआत की थी, ताकि बिना कुछ भी गिरवी रखे किसानों को लोन मिल सके.
ब्याज में छूट भी मिलेगी
किसानों को कोलैटरल फ्री लोन देने के साथ ब्याज में छूट भी मिलती है. वैसे तो इस तरह के लोन पर ब्याज 7 फीसदी रहता है, लेकिन अगर किसान समय से पहले इस लोन को चुकाते हैं तो उन्हें बैंक की ओर से 3 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है. इस तरह लोन पर उनका प्रभावी ब्याज दर महज 4 फीसदी रह जाता है. इस तरह देखा जाए तो कोलैटरल लोन के जरिये किसानों को दोहरा फायदा मिलता है.