भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उसने हाल ही में C20 क्रोयोजेनिक इंजन की क्रिटिकल टेस्ट पास कर लिया है. इस इंजन की मदद से इसरो अपने गगनयान मिशन के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजेगा. लेकिन यह सफलता गगनयान की जरूरत से कहीं ज्यादा बड़ी बताई जा रही है. पर आखिर इस इंजन में ऐसा क्या है जिसकी सफलता इतनी अहम मानी जा रही है? क्यों यह इसरो के इतिहास में यह उपलब्धि मील का पत्थर साबित होगी. आइए इन्हीं सवालों के जवाब जानते हैं.
क्या है ये इंजन?
पहले समझें कि क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन क्या है. यह एक खास तरह का रॉकेट इंजन है, जो क्रायोजेनिक ईंधन और ऑक्सीडाइजर का इस्तेमाल करता है. आम रॉकेट इंजनों में ईंधन और ऑक्सीडाइजर गैसीय होते हैं, लेकिन क्रायोजेनिक इंजन में इन दोनों का तरल अवस्था में इस्तेमाल होता है, जिससे रॉकेट की कारगरता बहुत बढ़िया हो जाती है. लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होता है क्योंकि दोनों को बहुत ही कम तापमान पर रखना होता है. ऐसे इंजन का इस्तेमाल बहुत ही कम देश कर पाते हैं.
तो फिर क्या है CE20 क्रोयोजेनिक इंजन?
भारत का स्वदेशी तकनीक से इसरो का विकसित किया खास क्रायोजेनिक इंजन है को जीएसएलवी एमके 3 के प्रक्षेपण के लिए तैयार किया जा रहा है. इस यान को अब एलवीएम-3 कहा जाता है. यह इसरो के ही सीई7.5 क्रायोजेनिक इंजन का उन्नत संस्करण है. खास बात ये है कि सीई7.5 इसरो के गगनयान अभियान के लिए काफी नहीं था, और सीई20 इसके लिए पूरी तरह से काफी बताया जा रहा है.