‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया, जिसे आमतौर पर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के रूप में जाना जाता है. इसे पेश करते ही लोकसभा में भारी हंगामा मच गया. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को वापस लेने की मांग की है. विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान पर हमला बताया है. विपक्ष का कहना है कि यह बिल लोकतंत्र के लिए घातक है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव एक साथ कराने के लिए विधेयक को मंजूरी दी थी. संशोधन के प्रावधानों से संकेत मिलता है कि एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया 2034 तक नहीं होगी.
क्या कहता है विधेयक?
विधेयक के अनुसार, यदि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपने पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग हो जाती है, तो उस विधानसभा के शेष पांच वर्ष के कार्यकाल को पूरा करने के लिए ही मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे. विधेयक में अनुच्छेद 82(ए) (लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने तथा अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है.
इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान एक ‘नियत तिथि’ से लागू होंगे, जिसे राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में अधिसूचित करेंगे. नियत तिथि 2029 में अगले लोकसभा चुनाव के बाद होगी. विधेयक में यह भी बताया गया है कि लोक सभा का कार्यकाल नियत तिथि से पांच वर्ष का होगा तथा नियत तिथि के बाद निर्वाचित सभी विधानसभाओं का कार्यकाल लोक सभा के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा.
कैसे होंगे एक साथ चुनाव?
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ दो चरणों में लागू किया जाएगा. पहला लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए, और दूसरा आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए. सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होगी. राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा मतदाता पहचान पत्र तैयार किए जाएंगे. केंद्र सरकार पूरे देश में विस्तृत चर्चा शुरू करेगी. कोविंद समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समूह बनाया जाएगा.
प्रभावी रूप से, 2024 और 2028 के बीच गठित राज्य सरकारों का कार्यकाल 2029 के लोकसभा चुनावों तक ही होगा. जिसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव स्वतः ही एक साथ होंगे.
उदाहरण के लिए, जिस राज्य में 2025 में चुनाव होंगे, वहां चार साल का कार्यकाल वाली सरकार होगी. जबकि जिस राज्य में 2027 में चुनाव होंगे, वहां 2029 तक केवल दो साल के लिए सरकार होगी.
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि सदन में बहुमत न होने, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी अन्य घटना की स्थिति में, नए सदन के गठन के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं – चाहे वह लोकसभा हो या राज्य विधानसभाएं.