कोरोना महामारी ने दुनियाभर में बड़ी तबाही मचाई है और अब भी इस वायरस के नए-नए वेरिएंट परेशानी का कारण बन रहे हैं. इस बीच कोरोना संक्रमण को लेकर कई स्टडी सामने आ रही है जो नई समस्या का कारण बन रही है. लांसेट के एक अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 संक्रमण के शिकार लोगों में दिल की बीमारियों के बढ़ने का खतरा अधिक है.
11 अगस्त को प्रकाशित इस रिपोर्ट में जिसका शीर्षक है ‘कोविड -19 से बचे लोगों में दीर्घकालिक हृदय संबंधी परिणाम” गैर-टीकाकृत आबादी: में सलाह दी गई कि कोरोना महामारी से संक्रमित लोगों को अपने हृदय की सेहत पर ध्यान देना चाहिए. इस स्टडी में बताया गया है कि कार्डियो से संबंधित परिणामों पर कोविड -19 का प्रभाव आउट पेशेंट की तुलना में इन-पेशेंट (जिन्हें संक्रमण के कारण इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था) में ज्यादा स्पष्ट तौर पर दिखाई दिया गया.
4 लाख से ज्यादा लोग हुए इस स्टडी में शामिल
इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि ‘नॉन-कोविड-19 कंट्रोल की तुलना में कोविड-19 से बचे लोगों में आकस्मिक हृदय रोगों का जोखिम 12 महीने तक अधिक रहता है.’ इसलिए इस स्टडी में मरीजों और डॉक्टर्स से कहा गया कि, कोविड-19 से जुड़े हिस्ट्री वाले रोगियों को लंबे समय तक अपने हृदय संबंधी सेहत पर ध्यान देना चाहिए. इस अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के बाद पुरुष और महिला दोनों में हृदय संबंधी परिणामों के जोखिम स्पष्ट थे. मृत्यु का जोखिम युवाओं की तुलना में बुजुर्गों में अधिक था, जिनकी आयु 65 वर्ष से अधिक या उससे अधिक थी.
अध्ययन करने का मकसद कोविड-19 महामारी से बचे लोगों में लंबी अवधि तक हृदय संबंधी परिणामों का पता लगाना था, जो अब तक काफी हद तक अस्पष्ट रहे हैं. इस स्टडी में 1 जनवरी 2019 और 31 मार्च 2022 के बीच 4 करोड़ से ज्यादा लोग जो कि SARS-CoV-2 परीक्षण से गुजर चुके हैं उनमें से कुल 4,131,717 प्रतिभागियों को भर्ती किया गया था. इस अध्ययन को आबादी के आधार पर दो समूहों में
बांटा गया.