विश्व फुटबॉल संचालन संस्था फीफा (FIFA) द्वारा भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने पर केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है. मंगलवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की पूरी जानकारी दी और कल सुनवाई की मांग की, जिस पर शीर्ष ने कहा कि बुधवार की तारीख तय की जा चुकी है.
गौरतलब है कि फुटबॉल के खेल को देखने वाली सबसे बड़ी संस्था फीफा ने मंगलवार को भारतीय फुटबॉल महासंघ को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया. फीफा ने यह फैसला AIFF के कार्यों में तीसरी पार्टी के दखल का हवाला देते हुए लिया. अगर जल्द से जल्द सस्पेंशन नहीं हटता तो भारत फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप की मेजबानी नहीं कर पाएगा. उल्लेखनीय है कि एआईएफएफ को अक्टूबर में फीफा अंडर-17 महिला विश्वकप की मेजबानी करनी थी. भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को अपने 85 साल के इतिहास में पहली बार फीफा से निलंबन झेलना पड़ा है.
इतना ही नहीं ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन और भारतीय फुटबॉल टीम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच का हिस्सा नहीं बन सकती है, जब तक कि उससे फीफा का यह बैन नहीं हट जाता. फीफा की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा गया कि फीफा काउंसिल के ब्यूरो ने एकमत होकर भारतीय फुटबॉल संघ को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने का फैसला किया है, जिसमें तीसरी पार्टी का दखल हो रहा है. यह फीफा के संविधान का उल्लंघन है और इसीलिए एआईएफएफ को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जा रहा है.
कैसे खत्म होगा भारतीय फुटबाॅल महासंघ का निलंबन?
भारतीय फुटबॉल महासंघ पर लगा यह बैन तभी हट सकता है जब एईआईएफएफ एक्जिक्यूटिव कमिटी को पूरी तरह से हटा कर उसकी जगह सीओए कमिटि ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स की नियुक्ति की जाए और एआईएफएफ एडमिनिस्ट्रेशन को रोजमर्रा के कामों के लिए पूरी छूट मिले. कुल मिलाकर फुटबाॅल प्रशासन में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप बिल्कुल समाप्त करना होगा. यह कुछ ऐसा ही होगा जैसे कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के पूरी तरह लागू होने तक भारतीय क्रिकेट के प्रशासन की जिम्मेदारी अपनी निगरानी में नियुक्त प्रशासकों की समिति को दे दी थी, जिसके अध्यक्ष भारत के पूर्व कैग विनोद राय बनाए गए थे. इस समिति में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना इडुल्जी भी शामिल थीं.