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वोटर आईडी को आधार से जोड़ना स्वैच्छिक है या अनिवार्य? निर्वाचन आयोग ने दिया यह जवाब

निर्वाचन आयोग (Election Commission) के निर्देश पर पूरे देश में मतदाताओं (Voter ID Card) के नाम आधार (Aadhaar Card) से जोड़े जाने का अभियान चल रहा है. यह अभियान बीते एक अगस्त से देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे हैं. अब इस अभियान को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रवक्ता साकेत गोखले ने सोमवार को दावा किया था कि राज्यों में बूथ लेवल आफिसर (BLO) लोगों को मतदाता पहचान पत्र अपने आधार से जोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. इसके जवाब में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि अभियान पूरी तरह से स्वैच्छिक है और किसी भी शख्स को आधार से जोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है.

बता दें कि इस अभियान के शुरू होने से पहले ही चुनाव आयोग ने इसे स्वैच्छिक करार दिया था. आयोग ने साफ कहा था कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के लिए मतदाताओं को बाध्य नहीं किया जाएगा. चुनाव आयोग के मुताबिक राज्यों में बूथ लेवल आफिसर द्वारा मतदान केंद्रों पर तथा घर-घर जाकर मतदाताओं से स्वैच्छिक रूप से आधार नंबर फार्म 6बी एकत्रित करेंगे.

वोटर आईडी को आधार से लिंक करना अनिवार्य या स्वैच्छिक?
आयोग का दावा है कि इससे इलेक्टोरल रोल में डुप्लीकेसी से बचा जा सकेगा और चुनावों में धांधली रोकने में भी मदद मिलेगी. केंद्र सरकार चुनाव कानून में संशोधन को लेकर बिल भी लेकर आई थी. यह बिल संसद से पास भी हो चुका है और अब कानून बन चुका है. इसके बाद वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक करने का रास्ता साफ हो गया है.

टीएमसी के दावे में कितना दम?
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने सोमवार को दावा किया कि चुनाव अधिकारी लोगों को वोटर आईडी अपने आधार से जोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. एक गैर-सरकारी संगठन इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के ट्वीट का हवाला देते हुए गोखले ने कहा था कि चुनाव अधिकारियों द्वारा वोटर आईडी को आधार से जोड़ने के लिए लोगों को मजबूर किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं. हमने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण जारी करने और इसे तुरंत रोकने को कहा है.’