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क्या रूसी तेल खरीद में जी-7 की योजना पर भारत देगा साथ सर्गेई लावरोव ने कही ये बात

पिछले कई महीनों से रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिमी देशों की योजना के भारत खिलाफ रहा है. अब जी-7 की बैठक में रूस के तेल की कीमत पर सीमा लगाने की योजना तैयार की गई है. पूर्व के बयानों के आधार पर रूस को भरोसा है कि भारत और चीन पश्चिमी देशों के इस फैसले में शामिल नहीं होंगे. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है, “मेरे सहयोगी एस जयशंकर सहित भारतीय नेताओं ने रूसी ऊर्जा खरीद पर प्रतिबंध में उन्हें शामिल करने के किसी भी प्रयास को सार्वजनिक रूप से खारिज कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने हितों का पालन करेंगे,”

द ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में रूसी विदेश मंत्री की एस जयशंकर से मुलाकात की उम्मीद है. हालांकि अब तक अमेरिका ने इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए लावरोव के नेतृत्व वाले 56 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को वीजा नहीं दिया है. इस बीच मास्को के खिलाफ पश्चिम का आर्थिक युद्ध एक निर्णायक मोड़ लेने के लिए तैयार है. शुक्रवार को जी 7 देशों की बैठक में 15 दिसंबर से रूसी तेल के मूल्य पर सीमा (कैप) लगाने पर सहमति व्यक्त की गई है. माना जा रहा है कि इससे वैश्विक मुद्रास्फीति को और अधिक बढ़ाए बिना यूक्रेन में अपने युद्ध को वित्तपोषित करने की मास्को की क्षमता प्रभावित होगी. जी-7 देशों में कनाडा, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जापान और अमेरिका शामिल हैं.

लावरोव ने कहा कि भारत हमेशा रूस की प्राथमिकता में रहा है और दोनों देश भारत, साइबेरिया और सुदूर पूर्व में तेल क्षेत्र में संयुक्त काम कर रहा है. इसके अलावा दोनों देश हरित ऊर्जा के लिए कृतसंकल्प है. सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत के साथ दोस्ती का हमारा संबंध ठोस बुनियाद पर टिका हुआ है जो भारत की स्वतंत्रता संग्राम से ही मजबूती के साथ विकसित हो रहा है. लावरोव ने कहा कि अब पश्चिमी देश पूरी दुनिया को कह रहा है कि रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए मास्को के साथ सहयोग करना बंद करना चाहिए. अगर सामान्य बोध के दृष्टिकोण से भी देखें तो कैसे कोई भारत, चीन, तुर्की, मिस्र, इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ हमारे संबंधों पर इस तरह का सार्वजनिक बयान दे सकता है.