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सरकार का बड़ा फैसला, विभिन्न ग्रेड के चावल निर्यात पर 20% का शुल्क लगाया, जानें ऐसा करने की वजह…

दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातक भारत ने चावल के विभिन्न ग्रेड के निर्यात पर 20% शुल्क लगा दिया है. चालू खरीफ सत्र में धान फसल का बुवाई रकबा काफी घट गया है. ऐसे में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. साथ ही स्थानीय कीमतों को नियंत्रित रखने का भी इसे एक प्रयास माना जा रहा है.

पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में औसत से कम बारिश ने चावल के उत्पादन पर चिंता पैदा कर दी है. इस साल पहले ही गेहूं के निर्यात और प्रतिबंधित चीनी शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

निर्यात शुल्क नौ सितंबर से लागू
राजस्व विभाग की अधिसूचना के अनुसार, धान के रूप में चावल और ब्राउन राइस पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि उसना चावल और बासमती चावल को छोड़कर अन्य किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा. अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्यात शुल्क नौ सितंबर से लागू होगा.

धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 प्रतिशत घटा
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सत्र में अब तक धान का बुवाई क्षेत्र 5.62 प्रतिशत घटकर 383.99 लाख हेक्टेयर रह गया है. देश के कुछ राज्यों में बारिश कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा है. चीन के बाद भारत चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा 40 प्रतिशत है.

चावल का निर्यात
भारत ने 2021-22 के वित्त वर्ष में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था. इसमें 39.4 लाख टन बासमती चावल था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में गैर-बासमती चावल का निर्यात 6.11 अरब डॉलर रहा. भारत ने 2021-22 में दुनिया के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया.

व्यापारियों को कोई नुकसान नहीं
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने निर्यात शुल्क लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय चावल का निर्यात काफी कम मूल्य पर हो रहा था. निर्यात शुल्क से गैर-बासमती चावल का निर्यात 20 से 30 लाख टन घटेगा. वहीं 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क की वजह से निर्यात से प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा.