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गिरता रुपया-मजबूत डॉलर, क्या होगा असर? विदेश में महंगी होगी पढ़ाई, स्टूडेंट्स ऐसे करें प्लानिंग

पिछले कुछ सालों में डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है. आज शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.20 रुपये प्रति डॉलर तक आ गया. रुपये में इस गिरावट ने करेंसी बाजार के जानकारों से लेकर इंपोर्टर्स और कारोबारियों के लिए चिंता का माहौल बना दिया है. यह गिरावट मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बाधित सप्लाई चैन, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, विदेशों में मजबूत डॉलर, फॉरेन कैपिटल के आउटफ्लो और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण हुई है.

हालांकि जानकारों का मानना है कि रुपये में जारी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक कुछ कदम उठाएगी. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि रुपया अनियंत्रित रूप से नहीं गिरे. वहीं कई विश्लेषकों का मानना है कि अगले कुछ सत्रों में डॉलर के मुकाबले रुपया और गिर सकता है. क्योंकि तेल की कीमतें बढ़ती हैं और विदेशी संस्थात निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है.

कमजोर रुपये से महंगा होगा इंपोर्ट
रुपये में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर कई तरह से असर पड़ता है और भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं है. कमजोर रुपये से इंपोर्ट महंगा होता है और इससे घरेलू उत्पादन और जीडीपी को नुकसान पहुंचता है. वहीं इससे विदेश में पढ़ाई-लिखाई भी महंगी होगी.

विदेश में पढ़ाई के इच्छुक छात्र और उनके परिवारों के लिए रुपये में जारी गिरावट एक मुश्किल खड़ी कर सकती है. हालांकि इस वजह से आपको विदेश में अध्ययन की योजना को टालना नहीं चाहिए. बल्कि इन विकल्पों पर विचार करना चाहिए…

रुपये में गिरावट के चलते विदेश में पढ़ाई के लिए जाने का यह अच्छा मौका है. क्योंकि अगर रुपया यहां से और गिरता है तो विदेश में पढ़ाई या डिग्री हासिल करना महंगा हो सकता है.
यह समय विदेश में पढ़ाई की योजना बनाने के लिए एक अच्छा अवसर है. स्टूडेंट्स को अपने पंसदीदा देशों में स्कॉलरशिप, पार्ट टाइम या कैंपस एंप्लॉयमेंट के विकल्पों की तलाश करनी चाहिए. ये वैकल्पिक फंडिंग चैनल छात्र को कॉर्पोरेट जगत का एक अच्छा अवसर भी देते हैं जिससे वे पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए बेहतर तरीके से तैयार होते हैं.
इसके अलावा, जो छात्र लोन लेने की योजना नहीं बना रहे हैं, उन्हें अब भविष्य में उच्च ब्याज दरों की संभावना को देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए. व्यक्तिगत/पारिवारिक फंड से पढ़ाई का खर्च न उठाएं.
विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों को अगर महंगाई बढ़ने और रुपये की कीमत में गिरावट से अब रहने और पढ़ाई के लिए ज्‍यादा पैसों की अचानक जरूरत पड़ गई है तो उन्‍हें टॉप-अप लोन के लिए अप्‍लाई कर देना चाहिए
जो छात्र पहले से ही यूएस में हैं, वे भी भारत में अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए प्रति डॉलर अधिक रुपये ट्रांसफर कर सकेंगे और भारत में अधिक निवेश कर सकेंगे.