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केंद्र का बड़ा फैसला; अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के इन जिलों में AFSPA 6 महीने के लिए और बढ़ा

केंद्र ने अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के कुछ ‘अशांत’ जिलों में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 (AFSPA) को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया है. पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने गृह मंत्रालय के हवाले से इस बात की जानकारी दी.

गृह मंत्रालय ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले के अलावा नामसाई जिले में नामसाई और महादेवपुर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को आज से 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. मंत्रालय ने कहा कि इन क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र यानी कि ‘डिस्टर्ब’ घोषित किया गया है.

इतना ही नहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को नौ जिलों में और नागालैंड के चार जिलों के 16 पुलिस स्टेशनों को आज से छह महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया है. बता दें कि इन इलाकों को भी ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया गया है. माना जा रहा है कि इन इलाकों में सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है.

क्या है अफस्पा कानून
45 साल पहले भारतीय संसद ने ‘अफस्पा’ यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे ‘डिस्टर्ब’ क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. हालांकि, इसका शुरू से विरोध भी होता रहा है.

ये विशेष अधिकार किस तरह के होते हैं
जहां अफस्पा लागू होता है, वहां सशस्त्र बलों के अधिकारी को जबरदस्त शक्तियां दी जाती हैं. ये इस तरह हैं
-चेतावनी के बाद, यदि कोई व्यक्ति कानून तोड़ता है, अशांति फैलाता है, तो उस पर मृत्यु तक बल का प्रयोग कर किया जा सकता है.
-किसी आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह किया जा सकता है जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो.
-किसी भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है. गिरफ्तारी के दौरान उनके द्वारा किसी भी तरह की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है.
-बिना वारंट किसी के घर में अंदर जाकर उसकी तलाशी ली जा सकती है. इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
-वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है.
-सेना के अधिकारियों को उनके वैध कामों कानूनी कवच प्रदान किया जाता है.
-सेना के केवल केंद्र सरकार हस्तक्षेप कर सकती है.