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बैंकिंग सिस्टम होगा और मजबूत, रूकेंगे धोखाधड़ी के मामले, निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए RBI ने बनाया ये प्लान

देश में बैंक समेत अन्य वित्तीय संस्थाओं की बेहतर तरीके से निगरानी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अपने डाटा बेस और एनबीएफसी रेगुलेटरी सुपरविजन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, RBI इसके लिए बाहरी एक्सपर्ट्स की भी भर्ती करेगा. हालांकि आरबीआई अभी भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन अब इसे और व्यापक बनाने की कोशिश है ताकि सेंट्रल बैंक में सुपरविजन डिपार्टमेंट को और एडवांस बनाया जा सके.

RBI का सुपरविजन विभाग सुपरवाइजरी एग्जामिनेशन के लिए रैखिक और कुछ मशीन-लर्न मॉडल विकसित और उपयोग कर रहा है. आरबीआई के पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार में बैंक, शहरी सहकारी बैंक, एनबीएफसी, पेमेंट्स बैंक, छोटे वित्तीय बैंक, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान आते हैं. यह साइट पर निरीक्षण और ऑफ-साइट निगरानी की सहायता से ऐसी संस्थाओं की निरंतर निगरानी करता है.

RBI डेटा आधारित निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना चाहता है
केंद्रीय बैंक ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से जुड़े परामर्श के लिए ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (EoI) जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि इस AI और ML के व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल का उद्देश्य रिजर्व बैंक की डेटा आधारित निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है. चयनित कंसल्टेंट को सुपरवाइजरी फोकस के साथ डेटा का पता लगाने और प्रोफाइल करने की जरूरत होगी.

बैंकिंग सिस्टम में आएगी पारदर्शिता और ग्राहकों को होगा फायदा
निगरानी क्षमता बढ़ाने के मकसद से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के कामकाज पर और बारीकी से नजर रखेगा. स्वाभाविक है इससे वित्तीय मामलों में और पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों को इसका सीधा फायदा होगा. उम्मीद है कि सेंट्रल बैंक के इस कदम से वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मामले भी कम होंगे.

दुनिया भर में रेगुलेटरी और सुपरवाइजरी अथॉरिटी मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इनमें से अधिकांश टेक्नोलॉजी पर रिसर्च अभी भी जारी है. डेटा कलेक्शन में, रीयल टाइम डेटा रिपोर्टिंग, इफेक्टिव डेटा मैनेजमेंट और प्रसार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जाता है. डेटा एनालिटिक्स के लिए इनका उपयोग पर्यवेक्षित फर्म-विशिष्ट जोखिमों की निगरानी के लिए किया जा रहा है, जिसमें तरलता जोखिम, बाजार जोखिम, क्रेडिट एक्सपोजर और एकाग्रता जोखिम शामिल हैं.