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देश की आर्थिक सुरक्षा से समझौता कर रही ये कंपनी, कर्नाटक हाई कोर्ट का जांच में हस्तक्षेप से इनकार

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह पता चलने के बाद एक कंपनी और इसके निदेशकों के खिलाफ जारी जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया था. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा, ‘मुझे याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिलता क्योंकि किसी भी तरह का हस्तक्षेप राष्ट्र की सुरक्षा से समझौता करने के लिए याचिकाकर्ताओं के कृत्यों को बढ़ावा देने के समान माना जाएगा.’

अदालत ने 17 अक्टूबर के अपने फैसले में ‘आईबी ट्रैक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड’ और इसके निदेशक सुधेंद्र धकानिकोटे द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. बेंगलुरु की कंपनी ने याचिका दायर कर एक मेट्रोपॉलिटन अदालत के समक्ष जारी उस मामले की सुनवाई को रद्द करने का अनुरोध किया था जो कि राजस्व खुफिया निदेशालय की शिकायत पर आधारित है. कंपनी ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (आरआईएफडी) तकनीक से लैस ‘ई-सील’ की खरीद और आपूर्ति करती है, जिसे भारत से निर्यात किए गए कंटेनर पर लगाया जाता है.

इटली की कंपनी लेघॉर्न ग्रुप एसआरएल इस सील को बनाती है जबकि भारतीय कंपनी इसकी अधिकृत वितरक है. ई-सील निर्यात के लिए उपयोग किए जाने वाले कंटेनर पर लगी होती है और संबंधित बंदरगाह पर सीमा शुल्क अधिकारी द्वारा हाथों से संचालित एक उपकरण द्वारा इसे स्कैन किया सकता है. कंपनी ने निर्यातकों द्वारा भेजे जाने वाले कंटेनर पर ई-सील लगाए जाने के लिए केंद्र सरकार की योजना में भाग लिया था. बाद में इस सील से छेड़छाड़ की बात सामने आई थी.

विश्लेषिकी और जोखिम प्रबंधन महानिदेशालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने अक्टूबर 2018 में इतालवी कंपनी द्वारा निर्मित ई-सील को नहीं बेचने के लिए कंपनी को एक पत्र जारी किया. इसके बाद, भारतीय कंपनी के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया गया और भारतीय कंपनी और उसके निदेशक के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया.