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पीएम मोदी आज आएंगे मानगढ़ धाम, सीएम गहलोत के साथ साझा करेंगे मंच, पढ़ें ताजा अपडेट

पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) आज राजस्थान दौरे पर आएंगे. मोदी राजस्थान और गुजरात और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित आदिवासियों के धाम मानगढ़ (Mangarh Dham) में जनसभा को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत भी शामिल होंगे. करीब 3 माह बाद पीएम मोदी और सीएम गहलोत एक मंच पर नजर आएंगे. इससे पहले अगस्त में दिल्ली में नीति आयोग की 7वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में दोनों की मुलाकात हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी मानगढ़ में धूनी के दर्शन करने के साथ ही गुजरात बॉर्डर में स्थित स्मृति वन में गोविंद गुरु की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. उसके बाद 11 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे.

पीएम मोदी के मानगढ़ दौरे को देखते हुए कई केन्द्रीय मंत्रियों समेत बीजेपी के अन्य नेताओं ने बीते चार-पांच दिन से वहां डेरा डाल रखा है. पीएम मोदी के मानगढ़ कार्यक्रम में राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों समेत एमपी के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी समेत 3 राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष तथा पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहेंगे. माना जा रहा है कि आज के आयोजन में मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया जा सकता है. इसकी चर्चाएं जोरों पर हैं.

यह है मानगढ़ का इतिहास
मानगढ़ में 17 नवंबर 1913 को अंग्रेजों ने आदिवासियों पर गोलियां बरसाई थी. इसमें करीब करीब 1500 आदिवासी शहीद हो गए थे. मानगढ़ को आदिवासियों के संघर्ष का स्थान माना जाता है. यहां गोविंद गुरु द्वारा संप सभा के माध्यम से लोगों को शिक्षा दी गई थी. उन्हें नशे की प्रवृत्ति से दूर रखने के बड़े प्रयास हुए थे. यहां भीलों को नीडर बनाकर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा किया गया था.

गोविन्द गुरु को गिरफ्तार कर लिया गया था
इतिहसकारों के अनुसार गोविन्द गुरु के आंदोलन से उस समय लाखों आदिवासी जुड़ गए थे. वे मानगढ़ की पहाड़ी पर जमा होकर हवन कर रहे थे. उसी दौरान कर्नल शटन के नेतृत्व में आदिवासियों पर गोलियों की बौछार कर दी गई।. बाद में गोविन्द गुरु को गिरफ्तार कर लिया गया. पहले उन्हें फांसी की सजा और फिर आजीवन कारावर की सजा सुनाई गई. उन्हें 1923 में जेल से मुक्त कर दिया गया. उसके बाद भील सेवा सदन के माध्यम से उन्होंने लोक सेवा के कार्यो को जिंदा रखा. गोविन्द गुरु के देहांत के बाद मानगढ़ धाम आदिवासियों की आस्था का केन्द्र बन गया. वहां उनकी समाधी पर हर वर्ष उनके शिष्य श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं.