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Explainer: क्या है RBI की ‘एडिशनल’ मीटिंग का मतलब? 5 अहम सवाल और जवाब

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 27 अक्टूबर को घोषणा की कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) 3 नवंबर को एक अतिरिक्त बैठक करेगी. हालांकि मूल कार्यक्रम के अनुसार, MPC की अगली बैठक 5-7 दिसंबर को होनी तय है. अब तरह-तरह की चर्चाएं हैं कि आखिर इस मीटिंग को करने का उद्देश्य क्या है.

शेयर बाजार में निवेश करने वालों की नजर हमेशा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फैसलों पर रहती है. ऐसे में हर निवेशक के मन में यह कन्फ्यूजन है कि आखिर इस मीटिंग का मकसद क्या है. मनीकंट्रोल ने इसी विषय को आसान से 5 जवाबों के माध्यम से समझाने की कोशिश की है. तो चलिए जानते हैं 5 मुख्य प्रश्न और उनके उत्तर-

1. यह मीटिंग क्यों?
12 अक्टूबर को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आंकड़ों के बाद एमपीसी की अनिर्धारित बैठक जरूरी हो गई है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि आरबीआई पहली बार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में विफल रहा है.

आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति (महंगाई दर) सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गई. यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि औसत मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों से 2-6 प्रतिशत के दायरे से बाहर रही है. जनवरी-मार्च में महंगाई दर औसतन 6.3 फीसदी, अप्रैल-जून में 7.3 फीसदी और जुलाई-सितंबर में 7 फीसदी रही.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च में कोर एनालिटिकल ग्रुप के निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा, “मैंडेट के अनुसार, आरबीआई को सुधारात्मक कार्रवाई और मुद्रास्फीति को मैंडेट के भीतर लाने के लिए संभावित समय सीमा देनी होगी. चूंकि नीति दर एमपीसी द्वारा तय की जाती है, इसलिए सेक्शन 45ZN के अनुसार पैनल के साथ इसके ब्यौरे पर चर्चा करना आवश्यक है.”

2. क्या है सेक्शन 45ZN?
केंद्रीय बैंक को RBI अधिनियम की धारा 45ZN के तहत MPC की एक अनिर्धारित बैठक (Unscheduled meeting) की घोषणा करने की शक्ति प्राप्त है. ‘मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने में विफलता’ शीर्षक बताता है कि विफलता के बाद आरबीआई को सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्या विवरण देना चाहिए.

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति और मौद्रिक नीति प्रक्रिया रेगुलेशन, 2016 के रेगुलेशन 7 कहता है कि अधिनियम की धारा 45ZN के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा और मसौदा तैयार करने के लिए एमपीसी के सचिव को कमेटी की एक अलग बैठक का समय निर्धारित करना चाहिए.

यह रेगुलेशन यह भी कहता है कि विफलता के बाद की रिपोर्ट उस तारीख से एक महीने के भीतर सरकार को भेजी जानी चाहिए, जिस दिन RBI मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है. चूंकि सितंबर के लिए सीपीआई डेटा 12 अक्टूबर को जारी किया गया था, इसलिए रिपोर्ट 12 नवंबर तक प्रस्तुत की जानी चाहिए.

3. विफलता के क्या कारण देगा RBI?
यह रिपोर्ट संभवत: आरबीआई के विफल होने के कई कारणों की ओर इशारा करेगी. मुख्य कारण होंगे कि आप रूस-यूक्रेन युद्ध को नहीं रोक सकते. यह रिपोर्ट सप्लाई में व्यवधान और चीन में शून्य-कोविड​नीति के बारे में बात करेगी.

याद रहे कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले ही मुद्रास्फीति बढ़ गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप आपूर्ति बाधित हुई. विशेष रूप से अनाज और ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं से जुड़ी समस्याओं में मुंह बा लिया था.

4. क्या उपाय सुझा सकता है RBI?
समस्या के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन इसका सटीक समाधान खोज पाना आरबीआई के लिए भी मुश्किल हो रहा है. आरबीआई और एमपीसी पिछले आधे साल से अधिक समय से मौद्रिक नीति को सख्त कर रहे हैं और रिपोर्ट में उन कदमों को उजागर करने की संभावना है, जो उसने पहले ही उठाए हैं.