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पेट्रोल-डीजल कारों पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगी 3 भारतीय कंपनियां, ग्राहकों को क्या होगी फायदा

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को भी ट्रांसपोर्टेशन का भविष्य माना जा रहा है, लेकिन भारत में कार बनाने वाली कंपनियां अब मौजूदा पेट्रोल-डीजल वाली कारें बनाने पर ही फोकस कर रही हैं. ईवी को अपनाने के लिए सरकार की ओर से की जा रहीं कई कोशिशों के बावजूद मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे कार निर्माता ग्राहकों की मांग को पूरा करने के लिए आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों के लिए क्षमताएं बढ़ाने से नहीं कतरा रहे हैं.

सभी कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारियों (सीएफओ) की ओर से मनीकंट्रोल को शेयर किए गए डेटा के मुताबिक, वेटिंग लिस्ट वाले मॉडलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अगले कुछ फाइनेंशियल इयर के लिए ये कंपनियां कुल 20,000 करोड़ रुपये खर्च करेंगी.

महिंद्रा हर साल बनाएगी 6 लाख एसयूवी
महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) ने कहा है कि वह अगले 12-15 महीनों में कुल एसयूवी क्षमता को लगभग 6 लाख यूनिट प्रति वर्ष तक बढ़ा रही है. देश की सबसे बड़ी एसयूवी निर्माता का का पिछले वित्तीय वर्ष तक प्रति माह 29,000 यूनिट का उत्पादन था, वर्तमान में कंपनी के एक्सयूवी700 जैसे बेस्टसेलिंग मॉडल के लिए वेटिंग पीरियड 22 महीने तक चल रहा है. कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 24 को समाप्त होने वाले तीन वर्षों में 7,900 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी.

हर साल 9 लाख कार बनाएगी मारुति सुजुकी
दूसरी तरफ टाटा मोटर्स ने खुलासा किया है कि वह अपने स्टैंडअलोन व्यवसाय के लिए 6,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसमें पैसेंजर और कमर्शियल वाहन दोनों शामिल हैं. ग्रुप सीएफओ पथमदाई बालचंद्रन बालाजी ने कहा कि कंपनी वर्तमान में एक महीने में 50,000 यूनिट का उत्पादन करती है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 55,000 यूनिट प्रतिमाह किया जाएगा. एक बार जब कंपनी का साणंद प्लांट चालू हो जाएग, तो कंपनी हर महीने 25,000-30,000 यूनिट ज्यादा उत्पादन कर सकेगा. इसके बाद कंपनी की कुल निर्माण क्षमता एक साल में 9 लाख यूनिट से ज्यादा हो जाएगी.