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अब ट्रेनों में एसी इकोनॉमी कोच नहीं होंगे, रेलवे ने कोच सरेंडर करने का फैसला लिया, जानें इसकी वजह

ट्रेन से सफर करने के लिए जब आप आरक्षण ऑन लाइन या ऑफ लाइन कराएंगे तो आपको एसी इकोनॉमी क्‍लास का विकल्‍प नहीं मिलेगा. रेलवे मंत्रालय ने इस क्‍लास के कोच को सरेंडर करने का फैसला लिया है. ये कोच भी अब सामान्‍य थर्ड एसी कोच होंगे. एसी इकोनॉमी क्‍लास को सरेंडर करने का फैसला किस लिए गया, जानें इसकी वजह.

रेलवे मंत्रालय ने पिछले वर्ष स्‍लीपर और एसी थर्ड क्‍लास के बीच यह क्‍लास शुरू किया था. जिसका किराया स्‍लीपर से अधिक लेकिन थर्ड एसी से कम था. इसका उद्देश्‍य स्‍लीपर में सफर करने वाले यात्रियों को एसी में सफर कराने का था. इसके लिए कोच में बर्थ की संख्‍या बढ़ाई गयी थी. सामान्‍य थर्ड एसी क्‍लास कोच में 72 बर्थ होती हैं, जबकि इसमें 83 बर्थ थीं.

इस तरह अलग थे एसी इकोनॉमी कोच

इसके साथ ही, इन कोचों में रीडिंग के लिए व्यक्तिगत लाइट, एसी वेंट्स, यूएसबी प्‍वाइंट, हर बर्थ पर मोबाइल चार्जिंग प्‍वाइंट, ऊपरी बर्थ पर चढ़ने के लिए बेहतर सीढ़ी और खास तरह का स्‍नैक टेबल बनाए गए थे.

लेनन नहीं मिलने से हो रही थी परेशानी

रेलवे मंत्रालय के अनुसार बर्थ की संख्‍या बढ़ाने के लिए सीटों के बीच थोड़ा थोड़ा गैप करने के साथ लेनन (कंबल) स्‍टोरेज को हटाया गया था. इसी वजह से एसी इकोनॉमी में लेनन नहीं दिया जाता था. अधिकारियों के अनुसार इस श्रेणी में सफर करने वाले यात्री लगातार कंबल की मांग कर रहे थे, यात्रियों का तर्क था कि सामान्‍य रूप से एसी क्‍लास से सफर करने वाले कंबल लेकर सफर नहीं करते हैं. यात्रियों की मांग को ध्‍यान में रखते हुए पिछले दिनों रेलवे ने इस श्रेणी में भी यात्रियों को लेनन देना शुरू कर दिया है.

इसलिए लिया गया फैसला

रेलवे मंत्रालय के अनुसार एक लेनन पर खर्च औसतन 60 से 70 रुपये प्रति ट्रिप खर्च आता है. इसमें धुलाई से लेकर निर्धारित समय के बाद हटाना भी शामिल है. इन कोचों में सफर करने वाले यात्रियों को लेनन देने से रेलवे को अतिरिक्‍त बोझ पड़ रहा था. इस वजह से रेलवे ने एसी इकोनॉमी को सरेंडर करने का फैसला लिया है. मौजूदा समय एसी इकोनॉमी क्‍लास के 463 और थर्ड एसी के 11277 कोच हैं. लेकिन अब दोनों क्‍लास के कोच मिलाकर संख्‍या 11740 हो गयी है.