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ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर नीति आयोग ने जताई चिंता, कहा- टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा बोझ

सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कुछ राज्यों द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को पुन: शुरू करने पर रविवार को चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इससे ऐसे समय में भविष्य के टैक्सपेयर्स पर बोझ पड़ेगा जब भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

बेरी ने पीटीआई से बातचीत में कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure) को बढ़ाने और राजकोषीय मजबूती के माध्यम से निजी क्षेत्र के लिए गुंजाइश बनाने की जरूरत को रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ‘‘ओल्ड पेंशन स्कीम के फिर शुरू होने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है. मेरे खयाल से यह चिंता का विषय है क्योंकि इसका भार मौजूदा टैक्सपेयर्स पर नहीं बल्कि भावी टैक्सपेयर्स और नागरिकों पर पड़ेगा.’’

OPS को एनडीए सरकार ने 1 अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था
ओपीएस के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी, इस योजना को एनडीए सरकार ने 1 अप्रैल, 2004 से बंद कर दिया था. न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं जबकि राज्य सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान देती है.

बेरी ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को अनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि हम सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के साझा लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं ताकि भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बन सके. लॉन्ग टर्म लक्ष्यों के लिए शॉर्ट टर्म लक्ष्यों को संतुलित करना आवश्यक है.’’

कई राज्य शुरू कर चुके हैं OPS
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने ओपीएस के क्रियान्वयन का निर्णय पहले ही ले लिया है जबकि बीजेपी शासित हिमाचल प्रदेश ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह इस योजना को बहाल करेगी. झारखंड ने ओपीएस शुरू करने का फैसला किया और आम आदमी पार्टी शासित पंजाब ने भी इस योजना के पुन: क्रियान्वयन को हाल में मंजूरी दी.

राज्यों के कर्ज को आरबीआई ने प्रभावी तरीके से सीमित कर दिया
हालांकि, उन्होंने बताया कि राज्यों के कर्ज को आरबीआई ने प्रभावी तरीके से सीमित कर दिया है इसलिए राज्यों की वजह से आर्थिक स्थिरता को कोई खतरा नहीं है. बेरी ने कहा, ‘‘अगले 2 साल में वित्तीय मजबूती के जरिए हमें प्राइवेट सेक्टर के लिए जगह बनाना शुरू करना होगा.’’

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