भारतीय नौसेना ने महिलाओं के लिए अपनी स्पेशल कमांडो फोर्स (MARCOS) के दरवाजे खोलने का फैसला किया है. सेना, नौसेना और वायु सेना के कुछ सबसे मजबूत सैनिकों को शामिल करके उनकी स्पेशल फोर्स बनाई जाती है. जो कठोर प्रशिक्षण से गुजरते हैं. ये कमांडो खतरनाक इलाकों में तेजी से और चोरी-छिपे दुश्मन का हर तरीके से जवाब देने में सक्षम हैं. मार्कोस कमांडो फोर्स में अब तक केवल पुरुष ही शामिल होते रहे हैं. इस मायने में नौसेना का ये फैसला ऐतिहासिक है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबरे के मुताबिक नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि नौसेना में अगर महिलाएं इसके लिए सभी जरूरी मानदंडों को पूरा करती हैं, तो वे अब समुद्री कमांडो (मार्कोस) बन सकती हैं. यह वास्तव में भारत के सैन्य इतिहास में एक ऐतिहासिक पल है. किसी को भी सीधे स्पेशल फोर्स की यूनिट में नहीं भेजा जाता है. लोगों को इसके लिए स्वयं अपना नाम भेजना होता है. मार्कोस को कई खतरनाक मिशनों को अंजाम देने के लिए कठोर ट्रेनिंग दी जाती है और वे समुद्र, हवा और जमीन पर हर तरह के मिशन को पूरा करने का काम कर सकते हैं. ये कमांडो दुश्मन के युद्धपोतों, सागर के तटीय इलाकों में हर तरह के हालात में जंग कर सकते हैं. वे समुद्र में भी आतंकवादियों से लड़ सकते हैं. उन्हें आतंकवादियों से निपटने के लिए कश्मीर के वुलर झील के इलाके में भी तैनात किया गया है.
नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि स्वेच्छा से मार्कोस बनने का विकल्प महिला अधिकारियों और नाविकों दोनों के लिए खुला होगा. महिला नाविक अगले साल अग्निवीर के रूप में सेवा में शामिल होने जा रही हैं. महिलाओं के लिए नौसेना की स्पेशल कमांडो फोर्स में शामिल होने का मौका ऐसे समय पर खुला है, जब सेना उन्हें पहली बार ऑफिसर रैंक कैडर से नीचे के कर्मियों (पीबीओआर) में शामिल करने की दहलीज पर है. नौसेना ओडिशा में आईएनएस चिल्का प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं सहित अग्निवीरों के अपने पहले बैच को प्रशिक्षण दे रही है. नौसेना के अग्निवीरों के पहले बैच में 341 महिलाओं सहित 3,000 ट्रेनी हैं