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कभी देश में 15,001 रुपये की सालाना आय पर देना पड़ता था 31 फीसदी टैक्‍स

देश का आम बजट पेश होने में अब 1 महीने से भी कम समय रह गया है. 31 जनवरी से बजट सत्र शुरू होगा और वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट (Budget 2023) पेश करेंगी. इस बार उम्‍मीद की जा रही है कि सरकार आगामी बजट में आयकर छूट की सीमा (Income tax Exemption limit) को बढ़ाएगी. अगर सरकार ऐसा करती है तो मध्‍यम वर्ग के लिए यह बहुत बड़ी राहत होगी. आजाद भारत के पहले बजट से ही आयकर स्‍लैब (Income Tax Slab) निर्धारित करने की परंपरा चल रही है. आपको यह जानकर हैरानी होगी, भारत के पहले आम बजट में 1,500 रुपये तक की ही आय टैक्‍स फ्री थी.

फिलहाल 2.50 लाख रुपये तक की आय टैक्‍स फ्री है. इससे ऊपर सालाना आय होने पर इनकम टैक्‍स देना होना है. आयकर की सीमा में आखिरी 2014 में बदलाव किया था. तब 2 लाख की लिमिट को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये किया गया था. पिछले 9 वर्षों में आयकर छूट (Income Tax Exemption) का दायरा नहीं बढ़ाया गया है.

इतना देना होता था टैक्‍स
क्‍या आपको आजादी के समय लगाए जाने वाले इनकम टैक्‍स के बारे में पता है? अगर नहीं पता है, तो हम आपको बताते हैं. आजाद भारत का पहला बजट भारत के पहले वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी (R.K.Shanmukham Chetty) ने 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था. 1949-50 के भारत के बजट में पहली बार इनकम टैक्स की दरें तय की गई थीं. तब 1,500 रुपये तक की सालाना आय का आयकर दायरे से बाहर रखा गया था. बजट में 1,501 रुपये से 5,000 रुपये तक की सालाना आय पर 4.69 फीसदी इनकम टैक्‍स लगाया गया. वहीं 5,001 से 10,000 रुपये तक की आय पर 10.94 फीसदी टैक्स लगाया गया था