महंगाई के बीच आम आदमी के लिए राहत की खबर आई है. देश में रिकॉर्ड उत्पादन और सप्लाई बढ़ने से देश में गेहूं और चावल के भाव आने वाले दिनों में स्थिर रहेंगे यानी लोगों को सस्ते दाम पर अनाज मिलेगा. मौजूदा फसल वर्ष (2022-23) में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 112 मिलियन टन छूने की संभावना है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 5% की वृद्धि दिखाता है. मौसम की अनुकूल स्थिति, बढ़ता रकबा और जलवायु की बुवाई के कारण प्रोडक्शन बढ़ा है. इसके अलावा, सरकार चावल के कुछ निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने पर विचार कर रही है, क्योंकि घरेलू कीमतें स्थिर हैं.
इस बीच फूड कॉर्पोरेशन इंडिया ने अनाज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए इस महीने आटा मिलों जैसे थोक खरीदारों को 2-2.5 मीट्रिक टन गेहूं की खुले बाजार में बिक्री करने का फैसला किया है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, इस बिक्री के लिए वित्त मंत्रालय से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है.
गेहूं के रिकॉर्ड प्रोडक्शन से मजबूत हुआ स्टॉक
नवीनतम आकलन के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 तक एफसीआई के पास रखा गया गेहूं का स्टॉक 7.4 मीट्रिक टन के बफर के मुकाबले 11.3 मीट्रिक टन होगा. कृषि मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन में, गेहूं का रकबा 33.2 मिलियन हेक्टेयर (एमएच) तक पहुंच गया है, जबकि पिछले पांच साल के औसत बुवाई क्षेत्र 32.4 एमएच है. गेहूं, एक प्रमुख रबी या सर्दियों की फसल है, जो ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है.
करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा, “जलवायु अनुकूल किस्मों की बुवाई, वर्तमान में अनुकूल मौसम की स्थिति और गेहूं के तहत थोड़ा अधिक रकबा इस साल के गेहूं उत्पादन को रिकॉर्ड 112 मीट्रिक टन तक पहुंचा सकता है.”