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 EPFO की ये सर्विस हुई ठप, PF खाताधरकों को हो रही दिक्कत, जानें कब से होगी शुरू

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ई-पासबुक (e-passbook) सुविधा सर्वर डाउन होने की वजह से फिलहाल कई अकाउंट होल्डर्स के लिए उपलब्ध नहीं है. कई खाताधारकों ने सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर स्क्रीनशाट शेयर करते हुए लिखा कि जब वे अपनी पासबुक को ओपन करने की कोशिश कर रहे हैं तो वेबसाइट एक एरर आ रहा है. कई यूजर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ईपीएफओ की ई-पासबुक सुविधा उपलब्ध नहीं होने की शिकायत की है.

एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, “हमेशा की तरह, ईपीएफओ की वेबसाइट (पासबुक) काम नहीं कर रही है. तीनों अलग-अलग ब्राउजर्स से कोशिश की गई. इस यूजर ने श्रम मंत्रालय के ट्विटर हैंडल को भी टैग किया. इसके अलावा एक अन्य यूजर ने लिखा कि ईपीएफओ पासबुक पोर्टल पिछले 7 दिनों से डाउन है.

EPFO ने बताया, कब शुरू होगी सर्विस
हालांकि, ईपीएफओ ने अपनी की वेबसाइट पर एक मैसेज फ्लैश किया गया कि ई-पासबुक की सुविधा आज शाम 5 बजे से उपलब्ध होगी. इस बीच, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 29 दिसंबर, 2022 के सर्कुलर के अनुसार केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में दिए निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया है.

बता दें कि कोर्ट ने पेंशन फंड में शामिल होने के लिए 15,000 रुपये मासिक वेतन की सीमा को खत्म कर दिया है. जो वर्ष 2014 के संशोधन में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता मिलाकर) की सीमा 15,000 रुपये प्रति माह तय की गई थी और संशोधन से पहले अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 6,500 रुपये प्रति माह था.

पेंशन योजना में शामिल होने के लिए 6 महीने का दिया समय
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2014 की कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना (Employee Pension Yojana) को “कानूनी और वैध” करार दिया. कई कर्मचारियों को राहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कर्मचारी पेंशन योजना में शामिल होने के विकल्प का प्रयोग अबतक नहीं किया है, उन्हें ऐसा करने के लिए 6 महीने का और मौका दिया जाना चाहिए.

इसमें सभी ईपीएस मेबंर्स को संशोधित योजना का विकल्प चुनने के लिए 1 सितंबर 2014 को छह महीने का समय दिया गया था. बाद में कोर्ट ने अपने आदेश में पात्र अंशदाताओं को ईपीएस-95 के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय दिया था. कोर्ट ने 2014 के संशोधन में वेतन के 1.16 प्रतिशत के कर्मचारी योगदान को 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया था.