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आखिर क्यों 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नहीं फहराते हैं तिरंगा, जानें ध्वजारोहण और झंडा फहराने का अंतर

भारत इस बार अपना 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाने जा रहा है. यह दिन भारत के संविधान के लागू होने की याद दिलाता है, जो 26 जनवरी 1950 को हुआ था. 1950 के संविधान के साथ, देश को आधिकारिक तौर पर भारत गणराज्य के रूप में जाना गया. स्वतंत्रता प्राप्त करने के दो साल बाद, इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था. इस दिन राजधानी दिल्ली में एक विशाल परेड आयोजित होती है और संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.

जानें ध्वजारोहण और तिरंगा फहराने का अंतर
गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण की बजाय झंडा फहराया जाता है. दोनों शब्द एक जैसे होते हैं लेकिन दोनों के मायन बेहद ही अलग होते हैं. भारत में 26 जनवरी और 15 अगस्त को तिरंगा फहराया जाता है. लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में अंतर है. दरअसल, स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) यानी कि 15 अगस्त को झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है फिर उसे खोल कर फहराया जाता है. इसे ध्वजारोहण (Flag Hoisting) कहते हैं.

15 अगस्त को प्रधानमंत्री करते हैं ध्वजारोहण
वहीं गणतंत्र दिवस के मौके पर यानी कि 26 जनवरी (Republic Day) को झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है. संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहते हैं.बता दें कि जब 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था तब संविधान न होने के चलते भारत के मुखिया प्रधानमंत्री ही थे. इस दिन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार झंडा फहराया था.