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सहकारिता, आईटी मंत्रालय, नाबार्ड और CSC ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया के बीच समझौता

आज केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और केन्द्रीय इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव की उपस्थिति में प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) को सामान्य सेवा केन्द्रों द्वारा दी जाने वाली सेवाएं प्रदान करने के लिए एमओयू साइन हुआ. सहकारिता मंत्रालय, इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज़ इंडिया लिमिटेड के बीच नई दिल्ली में इस समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्‍ताक्षर किए गए. इस अवसर पर सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता मंत्रालय और इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, सहकारिता मंत्रालय, नाबार्ड और एनसीडीसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पैक्स सहकारिता की आत्मा हैं और इन्हें लगभग 20 सेवाओं के प्रदाता बनाकर बहुद्देश्यीय बनाने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़ग़ार के अवसरों में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण और कृषि विकास में पैक्स की भूमिका और योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने इस समझौते को सबके लिए विन-विन सिचुएशन बताते हुए कहा कि इससे सहकार से समृद्धि और सहकारिता को ग्रामीण विकास की रीढ़ बनाने का प्रधानमंत्री मोदी जी का स्वप्न तो पूरा करने में मदद मिलेगी ही, साथ ही सहकारिता और किसान दोनों मज़बूत भी होंगे। श्री शाह ने कहा कि इससे सामान्य सेवा केन्द्रों (Common Service Centre -CSC) का कांसेप्ट देश की छोटी से छोटी इकाई तक बेहद सरलता से पहुंच सकेगा.

इस समझौते के अंतर्गत पैक्स अब सामान्य सेवा केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिए सक्षम तो होंगी ही, इसके साथ ही पैक्स के 13 करोड़ किसान सदस्यों सहित ग्रामीण आबादी को पैक्स के माध्यम से 300 से भी अधिक सीएससी सेवाएं भी उपलब्ध हो पाएंगी. इसके अलावा इससे पैक्स की व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और उन्हें आत्मनिर्भर आर्थिक संस्था बनने में मदद मिलेगी.

इस पहल से पैक्स, सीएससी योजना के डिजिटल सेवा पोर्टल पर सूचीबद्ध सभी सेवाएं नागरिकों को प्रदान करने में सक्षम होंगी, जिनमें बैंकिंग, इंश्योरेंस, आधार नामांकन/अपडेट, कानूनी सेवाएं, कृषि-इनपुट जैसे कृषि उपकरण, पैन कार्ड और IRCTC, रेल, बस व विमान टिकट सम्बन्धी सेवाएँ, आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही पैक्स कम्प्यूटरीकरण की केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत विकसित किये जा रहे राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर का उपयोग पैक्स को सीएससी के रूप में कार्य करने के लिए भी किया जाएगा, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.