अर्थहीन संकल्प! छूट का छलावा!
नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्री के छत्तीसगढ़ को थमाया झुनझुना – शिवसेना
केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आनंद मल्होत्रा ने कहा कि
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के टैब से कल हवा-हवाई वाला चुनावी बजट निकला। इस बजट में समाज के हर वर्ग के लिए कुछ-न-कुछ है, इस बात का आभास कराया गया। परंतु जब हकीकत में इस बजट का गहन अध्ययन किया गया तो वह एक बेकार बजट से ज्यादा कुछ नजर नहीं आया। लोगों को उम्मीद थी कि चुनाव पहले का यह आखिरी पूर्ण बजट होने के कारण देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में मोदी सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी। पर आर्थिक जानकारों का मानना है कि ऊपर से भले ही यह लोकलुभावन बजट नजर आ रहा है पर असलियत में यह एक अर्थहीन संकल्प से ज्यादा कुछ नहीं है।
अगले लोकसभा चुनाव के पहले मोदी सरकार ने कल अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किया है। इस बजट को देखकर यह कहने में कोई हिचक नहीं हो सकती कि यह एक चुनावी बजट है। सरकार का पूरा ध्यान मध्यम वर्ग को आकर्षित करने पर रहा और उसने इनकम टैक्स में छूट का स्लैब बढ़ा दिया है। इसे ५ लाख से बढ़ाकर ७ लाख कर दिया गया है। मगर इसका विस्तृत अध्ययन करने पर पता चलता है कि इनकम टैक्स में छूट एक छलावा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुराने रिजीम से इनकम टैक्स रिटर्न भरने पर यह छूट नहीं मिलेगी।
शिवसेना छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आनंद मल्होत्रा ने कहा कि आम आदमी की आंखों में धूल झोंकने के लिए सरकार देश में इनकम टैक्स रिटर्न के दो नियम चला रही है। नया नियम तीन साल पहले लागू किया गया था मगर सरकार ने पुराने नियम या रिजीम को खत्म नहीं किया। पुराने नियम में ८०सी समेत कई मदों में छूट मिलती है इसलिए अधिकांश मध्यम वर्ग पुराने रिजीम से ही रिटर्न भरता है, ताकि उसे इन छूटों का लाभ मिलता रहे, जबकि नए रिजीम में इनमें से काफी छूट नहीं मिलती इसलिए यह ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। अब सरकार कोशिश कर रही है कि लोग नए रिजीम के तहत रिटर्न भरें। इसके लिए सरकार ने छूट का स्लैब बढ़ाने का लॉलीपॉप तो फेंका है, पर उसमें कई कटौती उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए टैक्स मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर आप पुराने टैक्स रिजीम में हैं तो फिर इस बजट में आपके लिए कुछ भी नहीं है। बता दें कि मोदी सरकार ने कल आम बजट में नए टैक्स रिजीम का एलान किया है। मध्यम वर्ग की मांग थी कि उन्हें टैक्स में छूट दी जाए। वित्त मंत्री ने पिछले साल कहा भी था कि वो मध्यम वर्ग पर पड़नेवाले बोझ को समझ रही हैं, लेकिन नए टैक्स रिजीम के आने से पुराने रिजीम के टैक्सपेयर्स इस सोच में डूबे हैं कि आखिर उन्हें इस बजट से क्या मिला?
🚩 नए इनकम टैक्स स्लैब से लोग हुए भ्रमित!
केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिवसेना छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आनंद मल्होत्रा ने कहा कि
नए टैक्स स्लैब के एलान के बाद लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। सबसे बड़ी असमंजस की स्थिति इस बात को लेकर है कि पुराने टैक्स रिजीम को ही चुना जाए या नए में दाखिल हुआ जाए? ऐसे में टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए टैक्स रिजीम के तहत लोगों को छूट दी है। बता दें कि ७ लाख रुपए तक की सालाना आय टैक्स फ्री है। लेकिन सात लाख से अधिक आय टैक्सेबल है।
० से ३ लाख रुपए की आय पर कोई टैक्स नहीं है। ३ से ६ लाख रुपए तक ५ फीसदी, ६ से ९ लाख तक १० फीसदी, ९ से १२ लाख पर १५ फीसदी, १२ से १५ लाख पर २० फीसदी और १५ लाख से ऊपर की आय पर ३० फीसदी इनकम टैक्स वसूला जाएगा। ६ से ९ लाख रुपए की आमदनी पर पहले ६० हजार रुपए का टैक्स लगता था, जो कम होकर ४५,००० रुपए हो गया है। पहले
२.५ लाख रुपए तक टैक्स प्रâी था। २.५ लाख से ५ लाख तक ५ फीसदी था। ५ से १० लाख तक २० फीसदी और १० लाख से ऊपर ३० फीसदी टैक्स था। पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स को ८०सी के तहत निवेश पर छूट मिलती है। यह छूट नए रिजीम में नहीं मिलेगी। इस बजट में पुराने रिजीम वाले टैक्सपेयर्स के लिए किसी भी तरह का कोई एलान नहीं हुआ है। सरकार का कहना है कि अगर आपकी सालाना आमदनी सात लाख रुपए से अधिक है, तो आप खुद-ब-खुद नई टैक्स रिजीम में दाखिल हो जाएंगे। अगर कोई इसमें शिफ्ट नहीं होना चाहता है, तो उसे फॉर्म भरना पड़ेगा। पहले नए टैक्स रिजीम को चुनने के लिए टैक्स भरना पड़ता था।
शिवसेना छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आनंद मल्होत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए टैक्स स्लैब का एलान इसलिए किया है, क्योंकि टैक्सपेयर्स जो ८०सी के तहत पैसे का निवेश करते हैं, उस पर सरकार को ब्याज देना पड़ता है। अब सरकार पर ब्याज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है और राजस्व घाटा भी बढ़ रहा है। इसलिए कम-से-कम लोग ८०सी के तहत छूट का फायदा ले सकें इसलिए सरकार ने नए रिलीज का लॉलीपॉप दिखाया है। बजट में छत्तीसगढ़ राज्य के परिपेक्ष्य में बात करें तो कोई विशेष पैकेज़ या योजना छत्तीसगढ़ के लिए नही बनाई गई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होम के बावजूद वित्त मंत्री ने छत्तीसगढ़ियों को मात्र झुनझुना पकड़ा थमा दिया है।