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मनमोहन सिंह को राज्यसभा की अंतिम लाइन में मिली जगह, विकलांगता कार्यकर्ताओं ने उठाए सवाल, ऑडिट में मिलीं थी कमियां

संसद सत्र के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राज्यसभा की पहली पंक्ति की सीट को अंतिम पंक्ति की एक सीट पर शिफ्ट किया गया था, ताकि व्हीलचेयर की आवाजाही में कोई परेशानी ना हो. हालांकि, विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता अब दिव्यांग व्यक्तियों के अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व और संसद जैसे सार्वजनिक भवनों को अधिक सुगम बनाने के लिए ढांचागत उपायों की मांग कर रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि यह कदम व्हीलचेयर के जरिये सिंह (90) की उच्च सदन में आवाजाही को सुगम बनाने के लिए उठाया गया था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह को उनकी सुविधा के लिए अंतिम पंक्ति की सीट आवंटित की गई क्योंकि वह अब व्हीलचेयर पर हैं. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सिंह के कार्यालय ने पार्टी से अपनी सीट बदलने के लिए कहा क्योंकि उनके लिए आगे की पंक्ति में चलना मुश्किल था. इसके बाद पार्टी ने उनके लिए गलियारे के पास पिछली पंक्ति में बैठने की व्यवस्था की.

हालांकि यह पूर्व प्रधानमंत्री के मामले में उम्र से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं ने यह सुनिश्चित किया है कि सुलभ और समावेशी डिजाइन सिर्फ दिव्यांगों के लिए नहीं हैं, बल्कि यह आमजन से भी जुड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि कोई भी चोट या बीमारी के कारण अस्थायी तौर पर दिव्यांग हो सकता है और सार्वजनिक स्थानों को भी इसी के मद्देनजर तैयार किया जाना चाहिए.

2011 में संसद के ऑडिट में सामने आईं थी कमियां
विकलांग अधिकारों की पैरोकार और एनजीओ सामर्थ्यम की संस्थापक अंजली अग्रवाल, जो कि 2011 में संसद भवन के थर्ड-पार्टी एक्सेसिबिलिटी ऑडिट में शामिल थीं, ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक शौचालय भी नहीं थे, हालांकि यह सुनिश्चित किया गया था कि वे शौचालय यूजर फ्रेंडली हैं. ऑडिट के दौरान, अंजलि ने पाया कि शौचालय में व्हीलचेयर को मोड़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, फर्श फिसलन भरा था और दरवाजे की कुंडी भी ऊंचाई पर थी.

‘दिव्यांगों के साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया जाता’
उन्होंने कहा, ‘दिव्यांगों के साथ सम्मान और गरिमा का व्यवहार नहीं किया जाता है, और उन्हें पीछे की सीट दी जाती है, लेकिन हमें यह स्वीकार की जरूरत बिल्कुल नहीं है. संविधान और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, हमें गैर-भेदभाव की गारंटी देते हैं.’ निर्माणाधीन नए संसद भवन को लेकर उन्होंने कहा कि यह ‘यह सुनिश्चित करने का समय है कि डॉ सिंह के साथ जो हुआ वह किसी और के साथ न हो’. अंजलि ने कहा, ‘यह सिर्फ वीवीआईपी या वीआईपी के बारे में नहीं है. यह समान रूप से व्यवहार किए जाने का मामला है.’

संसद सत्र के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राज्यसभा की पहली पंक्ति की सीट को अंतिम पंक्ति की एक सीट पर शिफ्ट किया गया था, ताकि व्हीलचेयर की आवाजाही में कोई परेशानी ना हो. हालांकि, विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता अब दिव्यांग व्यक्तियों के अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व और संसद जैसे सार्वजनिक भवनों को अधिक सुगम बनाने के लिए ढांचागत उपायों की मांग कर रहे हैं.

कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि यह कदम व्हीलचेयर के जरिये सिंह (90) की उच्च सदन में आवाजाही को सुगम बनाने के लिए उठाया गया था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह को उनकी सुविधा के लिए अंतिम पंक्ति की सीट आवंटित की गई क्योंकि वह अब व्हीलचेयर पर हैं. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सिंह के कार्यालय ने पार्टी से अपनी सीट बदलने के लिए कहा क्योंकि उनके लिए आगे की पंक्ति में चलना मुश्किल था. इसके बाद पार्टी ने उनके लिए गलियारे के पास पिछली पंक्ति में बैठने की व्यवस्था की.

हालांकि यह पूर्व प्रधानमंत्री के मामले में उम्र से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं ने यह सुनिश्चित किया है कि सुलभ और समावेशी डिजाइन सिर्फ दिव्यांगों के लिए नहीं हैं, बल्कि यह आमजन से भी जुड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि कोई भी चोट या बीमारी के कारण अस्थायी तौर पर दिव्यांग हो सकता है और सार्वजनिक स्थानों को भी इसी के मद्देनजर तैयार किया जाना चाहिए.

2011 में संसद के ऑडिट में सामने आईं थी कमियां
विकलांग अधिकारों की पैरोकार और एनजीओ सामर्थ्यम की संस्थापक अंजली अग्रवाल, जो कि 2011 में संसद भवन के थर्ड-पार्टी एक्सेसिबिलिटी ऑडिट में शामिल थीं, ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक शौचालय भी नहीं थे, हालांकि यह सुनिश्चित किया गया था कि वे शौचालय यूजर फ्रेंडली हैं. ऑडिट के दौरान, अंजलि ने पाया कि शौचालय में व्हीलचेयर को मोड़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, फर्श फिसलन भरा था और दरवाजे की कुंडी भी ऊंचाई पर थी.

‘दिव्यांगों के साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया जाता’
उन्होंने कहा, ‘दिव्यांगों के साथ सम्मान और गरिमा का व्यवहार नहीं किया जाता है, और उन्हें पीछे की सीट दी जाती है, लेकिन हमें यह स्वीकार की जरूरत बिल्कुल नहीं है. संविधान और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, हमें गैर-भेदभाव की गारंटी देते हैं.’ निर्माणाधीन नए संसद भवन को लेकर उन्होंने कहा कि यह ‘यह सुनिश्चित करने का समय है कि डॉ सिंह के साथ जो हुआ वह किसी और के साथ न हो’. अंजलि ने कहा, ‘यह सिर्फ वीवीआईपी या वीआईपी के बारे में नहीं है. यह समान रूप से व्यवहार किए जाने का मामला है.’