नई टैक्स रिजीम को टैक्सपेयर्स के लिए एक सरल और कम-बोझिल बनाया गया है. बजट 2023 पेश होने के बाद अब नई टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट व्यवस्था होगी. इसका मतलब यह है कि अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम का चयन नहीं करते हैं, तो फिर अपने आप नई टैक्स रिजीम के हिसाब से आपके इनकम टैक्स की कैलकुलेशन की जाएगी. यानी, इस प्रणाली के तहत दरें और नियम तब तक लागू रहेंगे जब तक कि आप स्पष्ट रूप से पुरानी व्यवस्था को नहीं चुनते हैं, जो कई तरह की छूट देती है. हालांकि नई टैक्स प्रणाली में स्टैंडर्ड डिडक्शन के अलावा भी कई छूट शामिल है.
टैक्सपेयर्स के लिए ये जरूरी है कि नई या पुरानी टैक्स रिजीम का चयन करने से पहले उन्हें छूटों के बारे में भी पता होना चाहिए. हम आपको नई व्यवस्था (साथ ही पुरानी व्यवस्था) के तहत मिलने वाली छूटों के बारे में बता रहे हैं.
1. 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन
स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए एक टैक्सपेयर 50,000 रुपये तक का दावा कर सकता है, जबकि 15.5 लाख रुपये या उससे अधिक की आय वाले प्रत्येक वेतनभोगी व्यक्ति को स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में 52,500 रुपये का लाभ होता है. नई कर व्यवस्था के तहत बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 3 लाख रुपये कर दी गई है. नई टैक्स में बचत योजनाओं में निवेश करने पर कोई छूट नहीं है, लेकिन इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन को मिलाकर 7.5 लाख रुपये की आय पर कोई टैक्स नहीं है. वहीं, पुरानी टैक्स रिजीम में आपको 5 लाख रुपये से अधिक की आय पर ही टैक्स भरना पड़ेगा.
2. कर्मचारियों के NPS में नियोक्ताओं का योगदान
एनपीएस खाते में नियोक्ता के योगदान के मामले में, एक कर्मचारी आयकर कानूनों के तहत कर कटौती का दावा कर सकता है. धारा 80CCD(2) के तहत दावा की जा सकने वाली अधिकतम कटौती वेतन (बेसिक + डीए) का 10% है. यह कर कटौती 1.5 लाख रुपये की धारा 80सी कटौती और 50,000 रुपये की धारा 80सीसीडी (1बी) के अतिरिक्त है. हालांकि, कर्मचारी द्वारा धारा 80सीसीडी(1) के तहत किए गए योगदान को धारा 80सी के साथ जोड़ा जाता है. इसलिए, एक कर्मचारी द्वारा एक वित्तीय वर्ष में एनपीएस योगदान सहित धारा 80 सी के तहत कटौती की कुल राशि 1.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक नहीं होगी.