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खुशखबरीः मोदी सरकार लाने जा रही है रिटेल पॉलिसी, खुदरा कारोबार को आसान बनाने की ये है तैयारी

मोदी सरकार (Modi Government) कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के मकसद से ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार नीति (E- Commerce and Retail Trade Policy) लाने जा रही है. केंद्र सरकार देश के रिटेल सेक्टर में ग्रोथ के लिए एक नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी (National Retail Trade Policy) और ई-कॉमर्स पॉलिसी (E-Commerce Policy) लाने पर काम कर रही है. इस नीति के आ जाने के बाद रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण हो जाएगा. साथ ही व्यापारियों को बैंक से कम समय में ही अधिक कर्ज लेना भी आसान हो जाएगा. खासकर ईंट-पत्थर, किराना दुकान सहित छोटे माटे कारोबार से जुड़े लोगों को काफी राहत मिलेगी.

मोदी सरकार ने खुदरा कारोबारियों के लिए एक ‘राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति’तैयार किया है, जिसका मकसद है देश में कारोबार को और सुगम बनाया जाए और साथ ही आम लोगों को महंगाई से राहत मिले. अगले कुछ दिनों में ही केंद्र सरकार इस नीति को लागू कर सकती है. डिपार्टमेंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के ज्वाइंट सेक्रेटरी संजीव सिंह ने कहा, ‘इससे गली-मोहल्ले के छोटे खुदरा कारोबारियों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं और सुगमता से क्रेडिट उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी. इस नीति से व्यापारियों को बेहतर बुनियादी ढांचा और अधिक ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी. इसके साथ ही विभाग ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए ई-वाणिज्य नीति लाने पर भी काम कर रहा है.’

खुदरा कारोबारी के लिए बनेगा नया कानून
इसके अतिरिक्त विभाग सभी खुदरा व्यापारियों के लिए ‘बीमा योजना’ बनाने की प्रक्रिया पर भी काम कर रही है. केंद्र एक खुदरा व्यापार नीति लाने की योजना बना रहा है जो ईंट और मोर्टार व्यापारियों को अधिक ऋण और बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेगी. इससे गली-मोहल्ले के छोटे खुदरा कारोबारियों के लिए अनुकूल वातावरण और आधुनिक बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ सुगमता से ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी.

रिटेल ट्रेड पॉलिसी लाने की योजना
केंद्र सरकार जल्द ही रिटेल ट्रेड पॉलिसी लाने की योजना है, जिसके जरिए मुख्य रूप से फिजिकल स्टोर वाले रिटेल कारोबारियों के लिए कारोबार करना आसान हो जाएगा.रिलायंस रिटेल के निदेशक सुब्रमण्यम वी ने कहा कि भारतीय खुदरा बाजार की रफ्तार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है. इसके 2032 तक 2,000 अरब डॉलर का आंकड़ा छूने का अनुमान है.