मार्च का महीना चल रहा है और करदाता (Taxpayers) अपना इनकम टैक्स (Income Tax) बचाने की हर जुगत में लगे हैं. नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स बचाने का सबसे कारगर हथियार होता है हाउस रेंट अलाउंस (HRA), जिसमें बिना किसी निवेश के ही टैक्स बचाया जा सकता है. नौकरीपेशा लोगों को पता होगा कि HRA क्लेम करने के लिए रेंट एग्रीमेंट बनवाना बहुत जरूरी होता है. इसके बिना टैक्स बचत का लाभ नहीं लिया जा सकता. अगर आप भी टैक्स कटौती से बचने के लिए रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) बनवाने जा रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखें, वरना दोहरा नुकसान हो जाएगा.
सिर्फ पुराने टैक्स रिजीम में फायदा
सबसे पहली बात तो यह नोट कर लीजिए कि रेंट एग्रीमेंट बनवाकर आप टैक्स छूट का फायदा सिर्फ पुराने टैक्स रिजीम में ही ले सकते हैं. नए टैक्स रिजीम में किसी भी तरह की टैक्स छूट को खत्म कर दिया गया है. पुराने रिजीम में आयकर अधिनियम की धारा 10(13A) के तहत रेंट एग्रीमेंट के जरिये HRA पर टैक्स छूट क्लेम किया जा सकता है. क्लेम करने से पहले अपनी सैलरी स्लिप में देखें कि कितना HRA दिया गया है. उसी के अनुपात में आपको टैक्स छूट मिलेगी.
एग्रीमेंट में स्टांप का खास ख्याल रखें
रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय स्टांप का खास ध्यान देने की जरूरत है. आप 100 या 200 रुपये के स्टांप पर ही रेंट एग्रीमेंट बनवाएं. आप सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा का किराया चुकाते हैं तो मकान मालिक का पैन और आधार कार्ड देना जरूरी होता है. एग्रीमेंट के हर पेज पर मकान मालिक का साइन होना भी बहुत जरूरी है.
एग्रीमेंट में बताएं मंथली किराया
रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय ध्यान रखें कि इसमें सिर्फ मासिक किराये का ही जिक्र किया जाना चाहिए. कुछ लोग 6 महीने या फिर सालभर के हिसाब से अपना किरायानामा बनवाकर लगा देते हैं. इससे मंथली रेंट का कैलकुलेशन निकालने में दिक्कत आती है. इसके अलावा क्लेम करते समय रेंट स्लिप यानी हर महीने के किराये की रसीद भी जरूर लगाएं. वरना आपका क्लेम खारिज भी हो सकता है.