बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से सरसों व गेंहू की फसल को भारी नुकसान हुआ है. जिसके चलते सरसों के तेल के दाम में तेजी आ सकती है. सरसों की फसल को दिसंबर जनवरी में तेज सर्दी से 30 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ था. किसान अभी सरसों की फसल के नुकसान से उबरा भी नहीं था कि बारिश व ओलावृष्टि ने एक बार फिर चिंता को बढ़ा दी है. वर्षा और खराब मौसम के चलते सरसों के दाम 100 से 250 रुपये तक बढ़ गए हैं. माना जा रहा है कि मंडियों में अचानक आवक कम होने के कारण दाम बढ़े हैं.
मौसम का ये बदलता मिजाज देश के ज्यादातर राज्यों में देखा जा रहा है. कई जिलों में चार दिनों से रुक रुककर हल्की से तेज बारिश चल रही थी. इस बीच मंगलवार देर शाम जिले के पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई. इस बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान किया. सरसों की कटी फसल भीग जाने के कारण किसान फसल को मंडियों में बेचने के लिए भी नहीं ला रहे हैं. सीजन में आवक के अचानक कम होने के कारण सरसों के दाम बढ़ गए हैं
आम आदमी की जेब पर होगा सीधा असर
किसानों का कहना है कि सरसों की फसल पककर तैयार है. बारिश की वजह से सरसों के दाने खेत में ही गिर गए. बारिश की वजह से आम के बोर में फफूंदी लगने का डर है. गेहूं, आलू, दलहनी और तिलहनी फसलों के साथ सब्जियों की फसलें भी बर्बाद हुई हैं. जाहिर है इसका असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं पड़ेगा. इस नुकसान का असर आम जनता की जेब पर भी पड़ सकता है. फसलों के नुकसान होने से इसकी सप्लाई मंडियों में घट सकती है. अगर ऐसा हुआ तो सब्जियों के साथ कई चीजें महंगी हो सकती हैं. जिसका असर आपकी जेब पर भी पड़ना तय है.
बारिश और ओलावृष्टि के बाद फसलों में नुकसान का सर्वे कराया गया है. सरसों की फसल को सबसे ज्यादा क्षति हुई है. हरियाणा राज्य में जहां पहले 4500 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक रही थी वहीं अब 5000 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक रही है. बता दें कि जिले की मंडियों में आ रही सरसों में खरीददार सरसों में नमी की प्रतिशता और सरसों में तेल की मात्रा के आधार पर दाम तय क रहे हैं.