रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अपनाई गई नई विदेश नीति में वैश्विक मंच पर भारत को खास सहयोगी की श्रेणी में रखा गया है. इसमें चीन को भी शामिल किया गया. विदेश नीति से संबंधित 42 पन्नों के दस्तावेज में भारत और रूस को रणनीतिक साझीदार बताते हुए संबंधों को और गहरा करने पर बल दिया गया है. रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की सरकार ने दोहराया है कि उनके लिए भारत के साथ रिश्तों की अहमियत आने वाले दिनों में और बढ़ेगी.
भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी पांच मुख्य स्तंभों – राजनीति, रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और अंतरिक्ष पर आधारित है. दोनों देशों के संबंध शीत युद्ध के समय से ही गहरे रहे हैं. दस्तावेज के अनुसार, रूस पारस्परिक रूप से लाभकारी आधार पर सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और विस्तार करने की दृष्टि से भारत के साथ विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेगा.
पुतिन ने दी मंजूरी
इसके अलावा रूस द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने, निवेश और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने पर विशेष जोर देगा. उनकी कोशिश होगी कि कारोबार, निवेश, तकनीक से जुड़े द्विपक्षीय सहयोग को और प्रगाढ़ किया जाए. राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सरकार की नई विदेश नीति के मसौदे को गुरुवार को मंजूरी दी जिसमें रूस की भावी कूटनीति का चिंतन दर्शाया गया है. इसमें भारत को अपने मुख्य सहयोगी के तौर पर बताए जाने से दोनों ही देशों के बीच आने वाले समय में और भी कई बड़े फैसले हो सकते हैं.