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दाखिल-खारिज नहीं कराया तो हाथ से निकल जाएगी जमीन? सरकार से भी नहीं मिलेगा मुआवजा, आखिर क्या बला है ये

जमीन, घर या किसी भी तरह की अचल संपत्ति खरीदना कई लोगों के जीवन के सबसे बड़े फैसलों में से एक होता है. इसके लिए पैसा और मेहनत दोनों ज्यादा लगते हैं. भारतीय समाज में लोग भविष्य को ध्यान में रखते हुए बड़ी जमीनें खरीदते हैं ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी एक ही जगह पर आराम से रह सके. कुल मिलाकर प्रॉपर्टी खरीदना एक बड़े सपने के जैसा है. लेकिन कई बार छोटी-छोटी गलतियों के कारण उन सपनों पर ग्रहण भी लग जाता है. जमीन की रजिस्ट्री एक बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेजे है और लोग इसे तुरंत ही करवा लेते हैं. लेकिन एक और कागज है जिसके बारे में लोग जानते तो हैं लेकिन उसको लेकर बहुत लापरवाही दिखाते हैं. हम बात कर रहे हैं. दाखिल-खारिज या म्यूटेशन ऑफ प्रॉपर्टी (Mutation of Property) की.

आखिर दाखिल-खारिज होता क्या है और क्यों ये इतना जरूरी होता है. दाखिल-खारिज एक ऐसा दस्तावेज है जो आपकी प्रॉपर्टी को किसी भी तरह के पचड़े से बचाने में मदद करता है. अगर आपकी प्रॉपर्टी का दाखिल-खारिज हो गया है तो इसका मतलब है कि किसी को इस बाते से आपत्ति नहीं है कि आपने वह जमीन या घर खरीद लिया है.

आपत्ति से क्या मतलब है?
मान लीजिए आपने एक जमीन खरीदी. वह जमीन आपके पास आने से पहले 4 और लोगों के पास रही थी. अब अगर इनमें से एक भी शख्स ने कोर्ट में जाकर आपके खिलाफ मुकदमा दायर किया कि वह इस खरीद-बिक्री के खिलाफ है और आपके पास दाखिल-खारिज दस्तावेज नहीं हुए तो आपके लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी. दाखिल-खारिज नहीं होने का मतलब है कि उस जगह पर कोई विवाद चल रहा था और जिसने आपको जमीन बेची उसने पुराने मालिक के साथ धोखाधड़ी की है. इस तरह जमीन पर आपके मालिकाना हक पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा. दाखिल-खारिज होने का मतलब है कि नगर निगम के दस्तावेजों में प्रॉपर्टी का टाइटल चेंज हो गया है और अब आप उसके कानूनी रूप से सही मालिक हैं.

रजिस्ट्री से कैसे अलग
रजिस्ट्रेशन में प्रॉपर्टी को नए खरीदार को ट्रांसफर किया जाता है. इसमें रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टैंप ड्यूटी देनी होता है. वहीं, म्यूटेशन या दाखिल-खारिज कुछ महीनों बाद नगर निगम के दफ्तर में होता है. म्यूटेशन रिकॉर्ड देखकर आप जमीन के पिछले मालिकों के बारे में भी पता लगा सकते हैं.