जमीन और प्रॉपर्टी एक ऐसी चीज है जिसे व्यक्ति अपने जीवन में काफी महत्व देता है. इतना ही नहीं, इसके लिए लोग अपने जीवन भर की कमाई दाव पर लगा देते हैं. तब कहीं जाकर प्रॉपर्टी जैसी चीज खरीद पाते हैं. इसलिए ये बेहद जरूरी की किसी भी प्रॉपर्टी को खरीदते या बेचते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. प्रॉपर्टी खरीदते-बेचते समय कई डाक्यूमेंट की जरूरत भी होती है. इन डाक्यूमेंट के बिना डील फाइनल नहीं हो पाती. प्रॉपर्टी को बेचते समय कई डॉक्यूमेंट्स जैसे लीज डीड, मॉर्गेज डीड, गिफ्ट डीड, एक्सचेंज डीड और सेल डीड भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं.
प्रॉपर्टी बेचते समय, सेल डीड (Sale Deed) और अन्य डीड डॉक्यूमेंट काम में आते हैं. आज हम आपको इन्हीं में से एक जरूरी दस्तावेज सेल डीड के बारे जानकारी देने जा रहे हैं. सेल डीड सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स में से एक है. हिंदी में सेल डीड मतलब बिक्रीनामा या बैनामा पेपर होता है.
आखिर क्या है सेल डीड?
यह एक कानूनी डॉक्यूमेंट है जो प्रॉपर्टी के मालिक या विक्रेता को प्रॉपर्टी के अधिकारों को खरीदार के नाम पर ट्रांसफर करने का अधिकार देता है. विक्रेता द्वारा सेल डीड का ड्रॉफ्ट तैयार करने के बाद प्रॉपर्टी को स्थानीय उप-पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्रेशन करना चाहिए. जमीन खरीदने के लिए लोगों को रजिस्ट्री करानी होती है. रडिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया बैनामा यानी सेल डीड (Sale Deed) रजिस्टर्ड करने पर ही पूरी होती है. सबसे पहले जमीन का खरीददार और विक्रेता को आपसी सहमति से सेल डीड तैयार करवाना होता है. इसके बाद इस सेल डीड के आधार पर ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाता है. जिस जमीन की रजिस्ट्री की जा रही है.
क्या सेल डीड है जरूरी?
कई बार लोग अक्सर पूछते हैं कि क्या सेल डीड पंजीकृत होना अनिवार्य है. तो इसका जवाब है हां, सेल डीड को पंजीकृत कराना बहुत जरुरी है. जब तक सेल डीड पंजीकृत नहीं होती है, तब तक खरीदार कानूनन प्रॉपर्टी का सही मालिक नहीं बन सकता है. सेल डीड में प्रॉपर्टी हस्तांतरण अधिनियम के अनुसार कई खंड शामिल होने चाहिए. सेल डीड का ड्रॉफ्ट बनाते समय आवश्यक डॉक्यूमेंट्स में बिल्डिंग प्लान, बिल्डर द्वारा आवंटन पत्र, टैक्स स्लीप, उपयोगिता बिल (बिजली), पावर ऑफ अटॉर्नी (यदि लागू हो), टाइटल डॉक्यूमेंट, और प्रॉपर्टी के रीसेल के मामले में पहले से पंजीकृत सभी समझौते शामिल हैं.