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13 साल में 7 बड़े हमले, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के जंगलों में नक्सलियों का बोलबाला क्यों

झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में नक्सल प्रभुत्व भले ही कम हो गया हो, लेकिन छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा (Dantewada Naxal Attack) के जंगलों में नक्सलियों का दबदबा अभी भी कायम है. बुधवार की तरह नक्सली गर्मी के महीनों में एक आश्चर्यजनक बड़ा हमला कर सकते हैं. 10 जवानों और 1 नागरिक की जान लेने वाला अरनपुर हमला पिछले 13 सालों में दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा किया गया सातवां बड़ा हमला है. इससे पहले सभी हमले मार्च से मई तक भाकपा (माओवादी) द्वारा हर गर्मियों में शुरू किए गए टीसीओसी अभियान के दौरान हुए

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने News18 को बताया, ‘इस दौरान सुरक्षा बल भी हाई अलर्ट पर रहते हैं और हमें काफी सफलता भी मिलती है, लेकिन नक्सलियों को एक बड़े हमले को अंजाम देने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सिर्फ एक बार भाग्यशाली होना पड़ता है.’ उन्होंने कहा, ‘निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का उल्लंघन, जो पहले के ऐसे हमलों से सबक के रूप में बनाए गए थे. और स्थानीय रैंकों में शालीनता भी इसमें काफी हद तक योगदान देती है.’

ये हैं उदाहरण
दंतेवाड़ा में सबसे बड़ा नक्सली हमला जिसमें 76 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे, अप्रैल 2010 में हुआ था. तीन साल बाद मई 2013 में नक्सलियों ने फिर से बड़ा हमला किया. जब दंतेवाड़ा की झीरम घाटी में एक हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व का सफाया हो गया. 2017 में अप्रैल तक एक खामोशी थी जब सुकमा में नक्सलियों ने फिर से हमला किया, जिसमें दो दर्जन से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए. इसके चलते नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और रमन सिंह की राज्य सरकार ने दंतेवाड़ा में एक सफाई अभियान शुरू किया.

लेकिन मार्च 2020 में, भूपेश बघेल सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद, नक्सलियों ने फिर से सुकमा में एक बड़े हमले को अंजाम दिया, जिसमें 26 अप्रैल को अरनपुर की तरह एक आईईडी विस्फोट में 17 सुरक्षाकर्मी मारे गए. 2021 में, दंतेवाड़ा में दो और बड़े हमले देखे गए जिनमें मार्च में एक बस को उड़ाए जाने के बाद पांच लोग मारे गए और उसी साल अप्रैल में एक बड़ा हमला हुआ जिसमें सुकमा में 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए.