सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने भीमा-कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में नजरबंद एक्टिविस्ट गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) से कहा कि वह अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मियों को उपलब्ध कराने के खर्च के रूप में आठ लाख रुपये और जमा करें. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (Additional Solicitor General-ASG) एसवी राजू ने बताया कि कुल 66 लाख रुपये का बिल बकाया है. जिसके बाद जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने नवलखा को ये रकम जमा करने के लिए कहा.
पिछले साल 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में नवलखा को उनकी स्वास्थ्य की स्थिति और वृद्धावस्था को देखते हुए एक महीने की अवधि के लिए घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नजरबंदी को बढ़ा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कई शर्तें रखी थीं, जिसमें 2.4 लाख रुपये की रकम जमा कराना भी शामिल था. जो उन्हें घर में नजरबंद रखने की सुविधा देने के लिए पुलिस कर्मियों की तैनाती पर राज्य सरकार को खर्च करना पड़ता है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजू को नवलखा की उस याचिका पर दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया, जिसमें उन्हें मुंबई में पब्लिक लाइब्रेरी से शहर में किसी अन्य जगह पर भेजने की मांग की गई थी. क्योंकि पब्लिक लाइब्रेरी को खाली करने की जरूरत है.
नवलखा ने मांगी 45 मिनट तक वॉक करने की छूट
एएसजी ने ये भी कहा कि वह नवलखा के 45 मिनट तक वॉक करने देने के अनुरोध पर निर्देश लेंगे. नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि उन्हें महाराष्ट्र की तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत के बजाय हाउस अरेस्ट में रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा पर कई शर्तें लगाई थीं. जिनमें ये भी शामिल था कि वह किसी भी मोबाइल फोन, लैपटॉप, संचार उपकरण या गैजेट का उपयोग नहीं करेंगे. वह ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों से दिए गए फोन का उपयोग करेंगे. वह पुलिस की मौजूदगी में दिन में केवल एक बार 10 मिनट के लिए अपने फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे.