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‘बेहद खतरनाक था ऑपरेशन कावेरी’ – विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया बचाव मिशन में क्या-क्या हुआ

विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने रविवार को कहा कि भारत ने अभी-अभी ‘ऑपरेशन कावेरी’ (Operation Kaveri) पूरा किया है, जिसके जरिए करीब 4,000 भारतीयों को सूडान में संकटग्रस्त खार्तूम से निकाला गया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिर्फ एक बार का बचाव मिशन नहीं था, बल्कि सबसे जटिल और खतरनाक मिशनों में से एक था. अपने ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो में, जयशंकर ने बताया कि ऑपरेशन कावेरी के दौरान वास्तव में क्या हुआ. उन्होंने कहा कि फंसे हुए भारतीयों को खतरे से बाहर रखने के लिए केंद्र सरकार ने बहुत अधिक विवरण सार्वजनिक डोमेन में जारी नहीं किया. विदेश मंत्री ने बताया कि बचाए गए और वापस लाए गए लोगों में से 11 से 12 प्रतिशत कर्नाटक से थे.

ऑपरेशन कावेरी में क्या हुआ?
केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमने अभी-अभी ऑपरेशन कावेरी पूरा किया है; कहीं, अगर कुछ लोग अभी भी फंसे हुए हैं, तो हम वह अतिरिक्त प्रयास करेंगे लेकिन याद रखें कि ऑपरेशन कावेरी एक बार का मिशन नहीं था, यह विशेष रूप से एक जटिल ऑपरेशन था. हम इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बोलने से हिचकिचा रहे थे क्योंकि मुझे चिंता थी कि अगर हमने वहां अपने लोगों की दुर्दशा को उजागर किया, तो वे खतरे में आ सकते हैं.’

विदेश मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों की मदद से ये बचाव अभियान चलाया गया जिसमें कि वायु सेना द्वारा 17 उड़ानें और नौसैनिक जहाजों द्वारा पांच उड़ानें संचालित की गईं. उन्होंने कहा, “यह सबसे खतरनाक मिशन था, जिसके लिए लोगों ने अपनी जान जोखिम में डाली.”

‘भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने अपनी जान जोखिम में डाली’
सभी फंसे हुए नागरिकों को निकालने तक खार्तूम में रुकी रही भारतीय दूतावास की टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए, जयशंकर ने कहा कि अन्य दूतावास थे जो लड़ाई शुरू होने पर तुरंत चले गए. “लेकिन हमारा दूतावास रुका हुआ था क्योंकि वहां भारतीय थे. सभी भारतीयों के जाने के बाद भी हमारा दूतावास रुका रहा. राजदूत और टीम को जिम्मेदारी का अहसास था और उन्होंने कहा कि वे मदद करेंगे क्योंकि अभी भी कई जगहों पर लोग फंसे हुए हैं. जब संघर्ष विराम टूटा, तो मैंने उनसे यह भी कहा कि वे अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और उन्हें कहीं और शिफ्ट होने के लिए कहा. ”

विदेश मंत्री ने बचाव दलों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया. उन्होंने बड़े जोखिम के साथ अंजाम दी गई वादी सैय्यदना से उड़ान के बारे में एक उदाहरण देते हुए कहा, इसके लिए कोई उचित लैंडिंग हवाई पट्टी नहीं थी और उस क्षेत्र में पहले भी एक विमान को मार गिराया गया था.