कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई तरह की छुट्टियां देती हैं. इनमें से कुछ को कर्मचारी कैश करा सकते हैं. आमतौर पर कंपनी की ओर से दी जा रही छुट्टियों को अगर आप ले नहीं पाते हैं तो उसके बदले पैसा मिलता है. इसे लीव एन्कैशमेंट (Leave Encashment) कहा जाता है. सैलरी स्ट्रक्चर (Salary Structure) में इस बात की जानकारी दी जाती है. आइए आपको बताते हैं लीव एन्कैशमेंट से जुड़ी जरूरी बातें.
जॉब के दौरान Casual Leave CL, Medical Leave, Earned Leave, Maternity Leave वगैरह कई तरह की छुट्टियां मिलती हैं. इनमें से Earned Leave वो छुट्टी होती है, जो आप लगातार काम करने के बदले अर्जित करते हैं. सिक और कैजुअल लीव्स एक कैलेंडर ईयर में यूज़ न की जाएं तो लैप्स हो जाती हैं, लेकिन EL ऐसी लीव हैं, जो कैरी फॉरवर्ड होती हैं. इसका मतलब यह है कि अगर एक साल में किसी एंप्लॉयी को 25 EL मिलती है और वह इनमें से 10 का ही इस्तेमाल करता है तो बाकी 15 उसके अगले साल के EL में जुड़ जाएंगी.
कितने दिनों की छुट्टियां होती हैं कैश
इस मामले में कंपनियों के नियम अलग अलग हो सकते हैं. एन्कैश की हुई छुट्टी कुल अर्न्ड लीव का आधा या फिर 30 दिनों की अर्न्ड लीव, जो भी कम हो, उससे ज्यादा नहीं होनी चाहिए. लीव एन्कैशमेंट के लिए मैक्सिमम 300 छुट्टियां अलाऊ हैं. कई कंपनियां साल खत्म होने के बाद ही छु्ट्टियों को एन्कैश कर देती हैं. वहीं, कुछ कंपनियां कर्मचारी के इस्तीफे के बाद फुल एंड फाइनल में छुट्टियों के पैसे देती हैं.
लीव एन्कैशमेंट पर कब लगता है टैक्स
लीव एन्कैशमेंट पर छूट केवल तभी मिलती है, जब कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ने के बाद लीव एन्कैशमेंट कराता है. इसलिए, जब कोई कर्मचारी अपनी जॉब को कंटिन्यू रखने के साथ EL के बदले कैश लेता है तो उसे इनकम के रूप में देखा जाता है. इस तरह लीव एन्कैशमेंट पूरी तरह से टैक्स के दायरे में आता है और कंपनियां टैक्स कटौती करती हैं.
किसको मिलती है छूट, और क्या है लिमिट?
अगर आप केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी हैं तो आपकी छुट्टियों को कैश कराने पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. लेकिन वहीं आप किसी सरकारी कंपनी या संस्था में काम करते हैं, तो आपका एन्कैशमेंट टैक्सेशन के दायरे में आ जाएगा. किसी कर्मचारी के गुजर जाने पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी को जो लीव एन्कैशमेंट का पैसा मिलता है, उसपर भी कोई टैक्स नहीं लगता है.